किरण पराशर
Congress Bharat Jodo Yatra: 30 सितंबर को कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कर्नाटक राज्य में 22 दिनों के स्वागत के लिए तैयार है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस की कांग्रेस इकाई में के दो बड़े दिग्गजों के बीच तनाव दिखाई दिया है। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आमने-सामने हैं। कर्नाटक में अगले साल राजस्थान के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं।
भारत जोड़ो यात्रा के अंतर्गत हिस्सा लेने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता कर्नाटक में सबसे ज्यादा लंबा समय बिताएंगे वो यहां 22 दिनों के लिए रुकेंगे। कांग्रेस की यात्रा को कर्नाटक पहुंचने से पहले ही कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) को दो गुटों में तनाव साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने के लिए उचित कदम नहीं उठाने के लिए लिए कथित तौर पर सहयोगियों की जबरदस्त खिंचाई की है।
शिवकुमार का सिद्धारमैया गुट पर निशाना
शुक्रवार को एक बैठक में शिवकुमार ने सिद्धारमैया गुट पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने दैनिक आधार पर राजनीतिक विश्लेषण करने के लिए सुनील (राजनीतिक रणनीतिकार सुनील कानूगोलू) के नेतृत्व में एक अलग टीम नियुक्त की है।” उन्होंने आगे कहा,“सभी निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 600 लोग हैं जो कांग्रेस के सभी संभावित उम्मीदवारों को देख रहे हैं। हम उन्हें जानते हों या नहीं जानते हों। वे सभी मौजूदा जीतकर आए हुए, हारे हुए और महत्वाकांक्षी विधायकों को देख रहे हैं।
इस वजह से यात्रा के प्रबंधन से गायब था देशपांडेय का नाम
पूर्व राज्य कांग्रेस प्रमुख आरवी देशपांडे का नाम लेते हुए, शिवकुमार ने कहा, “मैंने देशपांडे को भारत जोड़ो यात्रा के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र से 5,000 लोगों को लाने के लिए कहा। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें लोग नहीं मिल पा रहे हैं क्योंकि उनका निर्वाचन क्षेत्र बहुत दूर है। इस पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, क्या हम राहुल गांधी की खातिर सिर्फ एक दिन के लिए ऐसा नहीं कर सकते? जिसके बाद रविवार को यात्रा के प्रबंधन के लिए गठित 18 समितियों की सूची से देशपांडे का नाम गायब था। कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता, बीके हरिप्रसाद, यात्रा के प्रभारी हैं।
सिद्धारमैया निकलवाना चाहते हैं रथयात्रा
पार्टी के कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया ग्रुप इस यात्रा को अपनी निगरानी में करवाना चाहते हैं, क्योंकि ये यात्रा डीके शिवकुमार को अपने संगठनात्मक कौशल आलाकमान को दिखाने का मौका देती है। वहीं दूसरी ओर पूर्व सीएम सिद्धारमैया खुद रथ यात्रा निकालने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम का मार्च 1999 में पूर्व सीएम एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली पांचजन्य यात्रा की तर्ज पर होगा।
शिवकुमार को सुनियोजित तरीके से काम करने पर भरोसा
शुक्रवार की बैठक में, शिवकुमार ने कहा कि 15 अगस्त को बेंगलुरु में आयोजित स्वतंत्रता मार्च महीने की शुरुआत में सिद्धारमैया के जन्मदिन समारोह से बेहतर था। स्वतंत्रता मार्च में लोगों की ज्यादा भागीदारी दिखाई दी थी क्योंकि ये सुनियोजित तरीके से किया गया था। वहीं सिद्धारमैया के जन्मदिन के दौरान बहुत सारे लोग ट्रैफिक में फंस गए थे, क्योंकि यहां पर बिना किसी योजना के काम किया गया था। सिद्धारमैया का जन्मदिन उनके समर्थकों द्वारा भव्य तरीके से मनाने की घोषणा के बाद दोनों नेताओं के बीच संबंध खराब हो गए। शिवकुमार ने कहा कि पार्टी व्यक्तियों की पूजा करने में विश्वास नहीं करती है, हालांकि राहुल और महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जन्मदिन समारोह की योजना का समर्थन करने के बाद उन्होंने अपनी स्थिति बदल दी। अगर कांग्रेस अगले साल सत्ता में लौटती है तो दोनों नेताओं के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे रहने की उम्मीद है।
सिद्धारमैया की नाराजगी की वजह
सिद्धारमैया को हाल ही में शिवकुमार और कर्नाटक के केंद्रीय नेता प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला के बीच एक होने वाली एक बैठक के बारे में नहीं बताए जाने की वजह से वो नाखुश थे लेकिन बाद में उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए मना लिया गया था। इसके अलावा हाल में ही रायचूर में एक कार्यक्रम के लिए लगाए गए होर्डिंग्स में से सिद्धारमैया की तस्वीर गायब थी। कुछ लोग पुराने मुख्यमंत्री को असली कांग्रेस नहीं मान रहे हैं क्योंकि उन्होंने साल 2006 में जनता परिवार से कांग्रेस का दामन थामा था। वहीं शिवकुमार साल 2020 से कर्नाटक में पार्टी को ट्रैक पर लाने में सफल रहे हैं। शिवकुमार को दक्षिण कर्नाटक के प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय से होने का फायदा भी है। वहीं सिद्धरमैया जो पिछड़े वर्ग कुरुबा समुदाय से हैं वो भी महत्वपूर्ण है चुनावी मैटेरियल के रूप में पार्टी अहिंडा आधार को मजबूत करना चाहेगी।