North East Delhi Violence Case: दिल्ली की अदालत ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और 7 अन्य आरोपियों के खिलाफ कथित तौर पर हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश और गैरकानूनी तरीके से जमा होने के आरोप तय किए है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी दूसरों को हिंदुओं को सबक सिखाने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए उकसा रहे थे।

दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपित ताहिर हुसैन के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट ने गुरुवार को आरोप तय किए थे। कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की धारा 3 और 4 के खिलाफ आरोप तय किया है। वहीं कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से भी इनकार कर दिया है था। ताहिर हुसैन पर दंगा कराने के लिए डमी कंपनी बनाकर 1.10 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप लगाते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

इसमें सहयोग करने के लिए रोहिणी के कारोबारी अमित गुप्ता को भी सह आरोपित बनाया गया था। इस मामले में पिछले साल मार्च में अमित गुप्ता ने सरकारी गवाह बनने के लिए अर्जी दायर की थी। अर्जी में उसने कहा था कि वह जांच में पूर्ण सहयोग करने और साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। इस अर्जी का ताहिर हुसैन के वकील ने विरोध किया था।

ईडी ने आरोप लगाया था कि ताहिर ने अपने सहयोगियों के साथ फर्जी और दुर्भावनापूर्ण लेनदेन के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली और नियंत्रित कुछ कंपनियों के खातों से धोखाधड़ी से पैसे निकालने की साजिश रची थी और इस पैसे को दंगों के दौरान इस्तेमाल किया गया था।

ईडी की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने ईडी की ओर से पक्ष रखा, जिसमें उन्होंने कहा कि ताहिर ने बिना सामान और सेवाएं दिए इन कंपनियों के फर्जी बिल काटे थे। इसके साक्ष्य के रूप में ताहिर की एक डायरी ईडी के पास है, जिसमें लेनदेन का ब्योरा है और बैंकों से जुटाए खातों के विवरण और वाट्सएप चैट भी हैं। बता दें, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में आईबी कर्मी अंकित शर्मा, हेड कांस्टेबल रतनलाल समेत 53 लोग मारे गए थे।