नोएडा में कबाड़ बन चुके वाहनों की संख्या 65 हजार के पार हो चुकी है, लेकिन पर्याप्त कबाड़ (स्क्रैपिंग) केंद्र न होने के कारण वाहन मालिकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे वाहन हैं जिनका पंजीकरण परिवहन विभाग पहले ही रद्द कर चुका है, लेकिन स्क्रैपिंग की प्रक्रिया पूरी न होने से वे यूं ही खड़े-खड़े धूल फांक रहे हैं।

फिलहाल जिले में केवल दो स्क्रैपिंग केंद्र ही संचालित हो रहे हैं और ये सेक्टर-80 स्थित मारुति सुजुकी टोसोसु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेटर नोएडा के इकोटेक-1 में महिंद्रा एसएसटीसी रिसाइकलिंग प्राइवेट लिमिटेड में हैं। इन दोनों केंद्रों पर पहले से ही काम का अत्यधिक बोझ है और हजारों वाहन अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें कई विभागीय सरकारी वाहन भी शामिल हैं, जो दफ्तरों के किसी कोने में खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं। पिछले दो वर्षों से परिवहन विभाग द्वारा जिले में तीन नए स्क्रैपिंग केंद्र खोलने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई भी केंद्र धरातल पर नहीं उतर सका है।

परिणामस्वरूप हर महीने स्क्रैप वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और वाहन मालिक परेशान होकर दिल्ली व अन्य शहरों का रुख करने को मजबूर हैं। संभागीय परिवहन अधिकारी सियाराम वर्मा ने बताया कि नए कबाड़ केंद्रों के लिए आवेदन करने वालों की जानकारी लखनऊ मुख्यालय भेजी जा चुकी है। विभागीय स्तर पर प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम देखने को मिल सकते हैं।

कंपनियों का नहीं हो पाया चयन

जिले में तीन नए केंद्र खोलने के लिए शासन की ओर से निजी कंपनियों से आवेदन मांगे गए थे। जिसके बाद कंपनियों की ओर से आवेदन दिए गए, लेकिन शासन स्तर पर मामला अटक गया। आवेदन तो गए लेकिन केंद्र खोलने के लिए कंपनियों का चयन नहीं हो पाया। तब से अबतक तीन परिवहन आयुक्त भी बदले जा चुके हैं लेकिन अबतक किसी की ओर से इसे लेकर स्पष्ट बात नहीं कही गई। ऐसे में तब से ही यह मामला लंबित चल रहा है। वर्तमान में चल रहे दोनों केद्रों से बेहतर केंद्र खोलने के लिए शासन ने कवायद शुरू की थी। बताया गया था कि इन केंद्रों की क्षमता तीन गुना तेजी से वाहनों को स्क्रैप करने की होगी।