सड़क सुरक्षा को लेकर यातायात पुलिस भले ही हर पंद्रह दिन में एक नया अभियान चला रही हो, लेकिन सड़क हादसों पर लगाम लगती नहीं दिख रही है। नियमों की अनदेखी करने वाले वाहन चालकों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। औसतन हर दिन छह से सात हजार चालान काटे जा रहे हैं। इसके बावजूद न तो हादसों की रफ्तार थमी है और न ही मौतों का आंकड़ा नीचे आया है।
सख्ती के बावजूद सकारात्मक नहीं दिख रहे हैं नतीजे
इस साल जनवरी से अगस्त माह के बीच कुल 797 सड़क हादसे दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 773 हादसे हुए थे। यानी इस वर्ष हादसों की संख्या में इजाफा हुआ है। बात अगर हादसों में जान गंवाने वालों की करें, तो इस वर्ष अब तक 311 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक यह संख्या 304 थी। साफ है कि सख्ती के बावजूद नतीजे सकारात्मक नहीं दिख रहे हैं।

यातायात पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई का असर कागजों में भले ही बड़ा दिखाई दे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष जुलाई तक ही यातायात पुलिस 16.5 लाख चालान काट चुकी है। पुलिस का पूरा ध्यान नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने पर केंद्रित नजर आता है, लेकिन हादसों को रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए कोई ठोस योजना दिखाई नहीं देती।
अहम बात यह है कि वर्ष की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क हादसों को आधा करने का लक्ष्य तय किया था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि संबंधित विभागों को इस दिशा में गंभीरता से काम करना होगा। लेकिन वर्ष के आठ महीने बीत चुके हैं और हादसों व मौतों के आंकड़े पिछले वर्ष से अधिक हो गए हैं। इसके बावजूद अधिकारी दावा कर रहे हैं कि साल के अंत तक हालात सुधार लिए जाएंगे।