नोएडा में लगभग सवा लाख व्यावसायिक वाहन स्वामियों के लिए आने वाला नया साल परेशानी भरा साबित हो सकता है। एक जनवरी से फिटनेस जांच व्यवस्था में बड़े बदलाव लागू होने जा रहे हैं। इसके तहत अब वाहनों की फिटनेस जांच स्थानीय एआरटीओ कार्यालय में नहीं, बल्कि निजी स्वचलित परीक्षण केंद्र (एटीएस) पर करानी होगी।
विडंबना यह है कि नोएडा जिले में अभी तक एक भी एटीएस केंद्र को संचालन की अनुमति नहीं मिल पाई है। ऐसे में नोएडा के व्यावसायिक वाहन चालकों को फिटनेस प्रमाणपत्र के लिए पड़ोसी शहरों दिल्ली और गाजियाबाद का रुख करना पड़ेगा।
शासन की नई नीति के तहत फिटनेस जांच प्रक्रिया को पूरी तरह हस्तचालित व्यवस्था से हटाकर स्वचलित किया जा रहा है। नियमों के अनुसार, किसी भी जिले में अधिकतम तीन एटीएस केंद्र खोले जा सकते हैं। नोएडा में पिछले दो वर्षों से इन केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। ग्रेटर नोएडा में दो एटीएस केंद्र बनकर पूरी तरह तैयार भी हो चुके हैं, लेकिन फाइल शासन स्तर पर लंबित होने के कारण इन्हें अब तक संचालन की अनुमति नहीं मिल सकी है।
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यदि एक जनवरी तक इन केंद्रों को हरी झंडी नहीं मिलती है, तो जिले के सवा लाख से अधिक व्यावसायिक वाहनों के पास दिल्ली या गाजियाबाद जाकर फिटनेस कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। इससे वाहन स्वामियों की चिंता बढ़ गई है और परिवहन विभाग की तैयारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
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परिवहन विभाग के अधिकारी भले ही जल्द संचालन शुरू होने का दावा कर रहे हों, लेकिन समय कम होने और प्रक्रिया के कागजी अड़चनों में फंसे होने के कारण वाहन स्वामियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वाहन स्वामियों का कहना है कि दूसरे जिलों में फिटनेस कराने से उनकी रोजमर्रा की कमाई प्रभावित होगी और अतिरिक्त खर्च भी उठाना पड़ेगा।
फिलहाल नोएडा का परिवहन तंत्र और हजारों वाहन चालक शासन के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं, ताकि समय रहते इस समस्या का समाधान निकल सके और नए साल की शुरुआत भागदौड़ और परेशानियों के साथ न करनी पड़े।
गाजियाबाद में भी सिर्फ एक केंद्र
गाजियाबाद की बात करें तो यहां भी करीब 60 हजार व्यावसायिक वाहनों का संचालन हो रहा है, लेकिन एटीएस केंद्र केवल एक ही है। ऐसे में जब तक और केंद्र नहीं खुलते, तब तक इस एकमात्र केंद्र पर भारी दबाव रहेगा, क्योंकि शुरुआत में नोएडा के वाहन भी यहीं का रुख करेंगे।
