नोएडा में प्रदूषण की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक ओर जहां वायु प्रदूषण से हवा में जहर घुला हुआ है, वहीं दूसरी ओर ध्वनि प्रदूषण भी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रपट में खुलासा हुआ है कि कई इलाकों में शोर का स्तर मानकों से कहीं अधिक पाया गया है। खासकर रात के समय स्थिति और अधिक चिंताजनक है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अक्तूबर माह की निगरानी रपट के अनुसार, शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) वाले इलाकों में शोर का स्तर मानक से 34.3 डेसिबल अधिक पाया गया। यहां रात में 40 डेसिबल तक शोर को सामान्य माना जाता है, लेकिन सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल के पास रात में 74.3 डेसिबल और सेक्टर-19 स्थित मैक्स अस्पताल के पास 71.2 डेसिबल तक शोर दर्ज किया गया।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट

यह स्तर सामान्य सीमा से लगभग दोगुना अधिक है। इन इलाकों में अस्पताल, स्कूल और कालेज जैसे संस्थान होने के कारण इन्हें साइलेंस जोन की श्रेणी में रखा गया है। प्राधिकरण की ओर से करोड़ों रुपए खर्च कर इलाकों में बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन उनसे भी खासा फर्क नहीं पड़ा।

ताजा रपट में सामने आया कि सबसे अधिक शोर साइलेंस जोन में ही हुआ है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाहनों से होता है। वहीं, शहर में उद्योगों का होना भी एक अहम कारण माना गया है। साथ ही साथ कुछ जगहों पर ज्यादा शोर होने का कारण निर्माण कार्य ,धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अधिक आयोजन होना भी है।