Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में कथित तौर पर तथ्य छिपाने के लिए भोपाल के डीआईजी मयंक अवस्थी को कड़ी फटकार लगाई। इतना ही नहीं उन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंक दिया। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि अवस्थी को देश के कानून की कोई परवाह नहीं है और वह अपनी मर्जी और इच्छा के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं।
दतिया जिले में एक हत्या के केस में आरोपी याचिकाकर्ता मानवेंद्र सिंह गुर्जर ने 2018 में एक आवेदन दायर कर घटना की डेट और जगह के बारे में प्रॉसिक्यूशन के दावों को चुनौती दी थी। गुर्जर ने मामले में कॉल डिटेल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने की मांग की ताकि यह दिखाया जा सके कि गवाह और मृतक घटना वाली जगह पर मौजूद नहीं थे। घटना के समय दतिया के एसपी रहे अवस्थी ने तब कोर्ट को बताया कि जब इस आवेदन पर फैसला किया जा रहा था, तब उनका ट्रांसफर हो चुका था और उनके पास रिकॉर्ड पेश करने का कोई अधिकार नहीं था।
हाई कोर्ट ने बताया कि 7 सितंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट ने आदेश दिया था कि मोबाइल नंबरों और सिम की कॉल डिटेल को सुरक्षित किया जाए और ये डिटेल 17 सितंबर 2018 को अवस्थी को ईमेल किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने गलत रुख अपनाया और रिकॉर्ड सुरक्षित नहीं किए जा सके। हाई कोर्ट ने कहा, ‘तत्कालीन एसपी दतिया अवस्थी ने जानबूझकर उस सूचना को दबाया और रोके रखा जिसे ट्रायल कोर्ट द्वारा सुरक्षित करने का निर्देश दिया गया था।’
पिछले 4 घंटे से इस कोर्ट में ड्रामा चल रहा है
विभागीय जांच क्यों ना शुरू की जाए- कोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि अवस्थी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के साथ-साथ कम से कम एक पक्ष के स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश की है। कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को यह फैसला लेने के लिए भी कहा है कि इस तरह के लोगों को पुलिस विभाग में रखा जाना चाहिए या नहीं। कोर्ट ने कहा, ‘मयंक अवस्थी (DIG) का आचरण एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मानक से बहुत नीचे है और देश के कानून के विपरीत है। यह कोर्ट अवस्थी से जवाब मांगती है कि आदेश का उल्लंघन करने के लिए विभागीय जांच क्यों न शुरू की जाए।’
पांच लाख रुपये जमा करने के निर्देश
अवस्थी इस समय भोपाल में डीआईजी के पद पर कार्यरत है। उन्हें एक महीने के अंदर प्रिसिंपल रजिस्ट्रार के सामने मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया। ऐसा न करने पर उन्हें राशि की वसूली के लिए कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा और साथ ही अदालत की अवमानना के लिए एक अलग मामला भी चलेगा। इसके अलावा, कोर्ट ने पुलिस को अवस्थी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने और उनके सेवा रिकॉर्ड में दिखाए जाने वाले आदेश की सर्टिफाइड कॉपी भी देने का निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को पसंद नहीं आया अधिवक्ता का आचरण