मशहूर विचारक और शिक्षाविद नोम चोमस्की ने संसद पर हमला मामले में अभियुक्त अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर हुए विवाद के सिलसिले में जेएनयू परिसर में पुलिस को अनुमति देने के जेएनयू कुलपति एम जगदेश कुमार के फैसले पर सवाल किया है। चोमस्की ने कुलपति को भेजे एक ईमेल में कहा, ‘‘ जेएनयू संकट को लेकर हम में से कई चिंतित हैं जो जाहिरा तौर पर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पैदा किया गया है जबकि परिसर में किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘आपने परिसर में पुलिस को क्यों अनुमति दी जबकि यह स्पष्ट है कि इसकी कानूनी रूप से जरूरत नहीं थी।’’

छात्रों और शिक्षकों ने भी जेएनयू परिसर में पुलिस ‘‘कार्रवाई’’ की अनुमति देने के फैसले पर सवाल किए हैं। वहीं कुलपति ने कहा था, ‘‘मैंने कभी भी पुलिस को परिसर में प्रवेश करने तथा हमारे छात्रों को पकड़ने के लिए आमंत्रित नहीं किया। हमने देश के कानून के अनुसार जरूरी सहयोग सिर्फ मुहैया कराया था। हम वैसा करने के लिए बाध्य थे।’’

चोमस्की और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ओरहन पामुक के अलावा दुनिया भर के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के 86 शिक्षाविदों ने पिछले हफ्ते इस घटना को लेकर भारत सरकार की तीखी आलोचना की थी।

जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की मांग को लेकर जारी प्रदर्शन के तहत शिक्षक ‘‘राष्ट्रवाद’’ पर कैंपस में खुले में कक्षा ले रहे हैं। उच्चतम न्यायालय कन्हैया, डीयू के पूर्व व्याख्याता एसएआर गिलानी और कुछ अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को याचिका पर इस आधार पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है कि उन लोगों ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी को कथित तौर पर ‘‘न्यायिक हत्या’’ कहा है।