बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में घर वापसी से साफ-साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर नरेन्द्र मोदी सरकार का समर्थन करने का कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में नीतीश ने कहा, “मैं नोटबंदी का समर्थन करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है लेकिन इसका राजनीतिक मायने नहीं निकाला जाना चाहिए।” नीतीश उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या वी भाजपा के साथ घर वापसी कर रहे हैं।

इसके साथ ही नीतीश ने कहा, “सिर्फ नोटबंदी से काला धन पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं है। हमें बेनामी संपत्तियों पर भी स्ट्राइक करना होगा। भाजपा के मुताबिक अगर यह सचमुच काला धन पर सर्जिकल स्ट्राइक है तो अब बेनामी संपत्तियों पर धावा बोलना चाहिए। यह तो मात्र शुरुआत है।” माना जा रहा है कि नोटबंदी पर केन्द्र सरकार को समर्थन करने के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक सहयोगियों खास कर लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के लोगों को अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वो सिर्फ काला धन के खात्मे के मुद्दे पर ही मोदी की नीति का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, नीतीश ने कहा कि उनका महागठबंधन पहले की तरह मजबूत है और उनकी सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।

2019 के लोक सभा चुनावों में गठबंधन की तरफ से क्या वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, इस सवाल पर नीतीश कुमार ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनावों के लिए गैर भाजपा दलों ने अभी कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई है। नीतीश ने पीएम मोदी और भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि ये लोग काम कम करने और उसका ढिंढोरा ज्यादा पीटने में भरोसा रखते हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान जो आप वादा करते हैं, सरकार में आने के बाद उसे पूरा करना चाहिए।

गौरतलब है कि साल 2013 में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और भाजपा के बीच गठबंधन टूट गया था। ये दोनों पार्टियां 17 साल तक एनडीए गठबंधन में साथ-साथ रही थीं।