हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एक ऐसा बिल पारित किया है जो दल बदलने वाले नेताओं के लिए मुश्किल खड़ी कर देगा।  यह कानून कहता है कि दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किए गए सदस्यों की पेंशन अब रोक दी जाएगी। इससे दल बदलने वाले नेताओं को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा। 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया था और कहा था कि बिल का अहम मकसद विधायकों की पेंशन बंद करके उन्हें दलबदल करने से रोकना है।

क्या कहता है यह बिल?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य ठहराया गया है, तो वह अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा। अब तक अधिनियम की धारा 6बी के तह पांच साल तक की अवधि तक सेवा करने वाले प्रत्येक विधायक को 36,000 रुपये प्रति माह पेंशन का हकदार माना जाता है।

इन विधायकों की रुक जाएगी पेंशन

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पास किए बिल के पीछे अहम वजह पिछले दिनों कांग्रेस विधायकों के दल बदल को देखा जा रहा है। छह कांग्रेस विधायकों सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार को इस साल फरवरी में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने 2024-25 के बजट पारित होने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन से अनुपस्थित रहकर पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह से जुड़े मामले पर भी विवाद हुआ था। जिसके बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि  कर्मचारियों को 5 सितंबर को सैलरी और पैंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी। इससे पहले सीएम ने कहा था कि प्रदेश के ऊपर किसी तरह का वित्तीय संकट नहीं है।