Special Intensive Revision (SIR) को लेकर हो रहे जमकर हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य की सत्ता में एनडीए की वापसी के लिए अपने चुनावी अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ ऐलान किए हैं। NDA की कोशिश इसके जरिये विपक्ष को बैकफुट पर धकेलने की है।
बिहार में जल्द ही विधानसभा के चुनाव का ऐलान हो सकता है। चुनाव के ऐलान से पहले नीतीश ने डोमिसाइल नीति वाला कार्ड चल दिया है। आइए जानते हैं कैसे।
डोमिसाइल नीति लागू करने को मंजूरी
नीतीश कुमार की सरकार ने हाल ही में Teachers Recruitment Examination (TRE) के तहत शिक्षकों की भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू करने को मंजूरी दी। इससे राज्य के मूल निवासियों को 85% से अधिक आरक्षण मिल सकेगा। इसके अलावा 8 जुलाई को एनडीए सरकार ने सरकारी नौकरियों में 35% महिला आरक्षण को बिहार की मूल निवासी महिलाओं के लिए ही निर्धारित कर दिया था। यह आरक्षण 2016 से लागू था लेकिन पहले इसमें अन्य राज्यों की महिलाओं को भी हिस्सा मिलता था।
इसके बाद नीतीश सरकार ने राज्य के शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि वह शिक्षकों की नियुक्ति में बिहारी मूल के लोगों को प्राथमिकता दे। नीतीश सरकार के इस ऐलान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे उसे युवाओं और महिलाओं का समर्थन मिल सकता है।
राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक, केवल बिहार के लोग ही राज्य में स्कूल टीचर के रूप में नियुक्त हो सकेंगे।
‘हमारे पास केवल आधार कार्ड है…’, बिहार के गांवों में परेशान हैं लोग
नीतीश सरकार ने 2020 में पहली बार डोमिसाइल नीति का ऐलान किया था लेकिन किसी भी भर्ती परीक्षा में इसे लागू नहीं किया गया। बाद में सरकार ने डोमिसाइल नीति को लेकर फैसला वापस ले लिया लेकिन इसके विरोध में छात्र सड़कों पर उतर आए। अब सरकार ने जो फैसला लिया है उससे बिहार के मूल निवासियों को डोमिसाइल नीति का लाभ मिलेगा।
बिहार के लोगों को मिलेगी प्राथमिकता
राज्य सरकार का कहना है कि संशोधित किए गए नियमों के मुताबिक, बिहार से कक्षा 10 और कक्षा 12 पास करने वाले छात्रों को शिक्षा विभाग की नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी। साफ है कि दूसरे राज्यों के लोगों के लिए इन नौकरियों में सिर्फ 15% जगह ही बचेगी। पिछले 5 सालों में तीन बार TRE परीक्षा हुई और इसमें बिहार से बाहर के लगभग 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी।
बिहार के 65 लाख मतदाताओं का क्या होगा, विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे?
100% आरक्षण देंगे- तेजस्वी यादव
इस मामले में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो सभी नौकरियों में 100% आरक्षण दिया जाएगा।
बताना होगा कि बिहार के चुनाव से पहले ‘नौकरियां’ एक प्रमुख मुद्दा बन गई हैं और पिछले महीनों में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर युवाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया है। एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सरकारी नौकरियों में बिहार के लोगों को प्राथमिकता देने के लिए डोमिसाइल नीति का समर्थन किया है।
‘चुनाव आयोग को कुछ नहीं पता, हम पर थोप दिया…’
मुफ्त बिजली से लेकर मानदेय बढ़ाने तक का फैसला
इसके अलावा भी नीतीश सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई लोकलुभावन फैसले लिए हैं। इनमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह करना और राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं (जिनमें 1.67 करोड़ परिवार हैं) को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देना शामिल है।
मध्यान्ह भोजन योजना के रसोइयों का मानदेय 1,650 से बढ़ाकर 3,300 करना, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के 6,000 चौकीदारों का मानदेय 5,000 से बढ़ाकर 10,000 करना, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय 8,000 से बढ़ाकर 16,000 रुपये करने जैसे बड़े फैसले शामिल हैं।
नीतीश कैबिनेट ने आशा और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मासिक प्रोत्साहन राशि भी 1,000 से बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दी है।