बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिविल सेवा की तैयारी करने वाले दलित अभ्यर्थियों के लिए नई सुविधा का एलान किया है। उन्होंने सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले दलित और आदिवासी छात्रों को एक लाख रुपये देने की घोषणा की है। बिहार सरकार ने इसके साथ ही राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा (प्रारंभिक) पास करने वाले दोनों समुदायों के अभ्यर्थियों को भी 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। बिहार सरकार के सूत्रों ने बताया कि राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं में दोनों आरक्षित श्रेणी के तकरीबन 1,500 अभ्यर्थी पहले चरण को पार करने में सफल रहते हैं। वहीं, इन समुदायों के औसतन 200 अभ्यर्थी संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास कर पाते हैं। अब राज्य के ऐसे अभ्यर्थियों को विशेष योजना के तहत अनुदान प्रदान किया जाएगा। बता दें कि यूपीएससी सिविल सेवा और बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएं तीन चरणों में संपन्न होती हैं। प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य और साक्षात्कार के दौर से गुजरना होता है। सिविल सेवा के जरिये आईएएस, आईपीएस, आईआरएस समेत कई सेवाओं के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है।
एससी-एसटी छात्रों को हर महीने मिलेगा मुफ्त अनाज: बिहार सरकार ने होस्टल में रहकर परीक्षा की तैयारी करने वाले एससी/एसटी छात्रों को हर महीने 15 किलो अनाज देने का भी फैसला किया है। इस योजना के तहत छात्रों को चावल और गेहूं मुहैया कराया जाएगा। बिहार के मुख्य सचिव अंजनि कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है। इन दोनों समुदायों के अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय को भी यह सुविधा दी जाएगी।
दलितों को लुभाने की कोशिश!: जनता दल यूनाइटेड और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार ने विशेष अनुदान की घोषणा ऐसे वक्त की है, जब दलित समुदाय में भाजपा के प्रति असंतोष की भावना बढ़ने की बात कही जा रही है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून से जुड़े प्रावधान में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बदलाव करने पर पिछले महीने दलित समुदाय ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया था। हिंसक विरोध-प्रदर्शन में कई लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में नीतीश सरकार की इस कोशिश को दलितों को लुभाने का प्रयास भी बताया जा रहा है।