निर्भया बलात्कार कांड के समय किशोर रहे अपराधी ने यह खुलासा किया है कि बचपन में यौन शोषण का शिकार होने के कारण ही वह अपराधी बना। उसने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि चंद दिनों बाद होने वाली अपनी रिहाई के बाद वह किसी की देखरेख में नहीं रहना चाहता है। उसने सरकार से नौकरी दिए जाने की मांग की है। दूसरी ओर राष्ट्रीय जांच एजंसी व इंटेलीजेंस ब्यूरो इस अपराधी के जेहादी बनने की आशंका का आकलन कर रहे हैं।

तीन वर्ष पूर्व दिल्ली में दिल दहला देने वाले निर्भया कांड का एक अभियुक्त चंद दिनों बाद अपनी सजा पूरी करके रिहा होने वाला है। निर्भया और उसके दोस्त को बस पर चढ़ने के लिए प्रेरित करने व चलती बस में उसके साथ दरिंदगी करने वाला यह अपराधी उस समय वयस्क नहीं था इसलिए उसे तीन साल तक बाल सुधार गृह में रखने का फैसला किया गया था। वहां एक ओर उसकी रिहाई के बाद उस पर नजर रखे जाने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है, वहीं उसने खुद के अपराधी बनने की जो वजह बताई है, वह बहुत अहम है।

गृह मंत्रालय को 26 नवंबर को भेजे अपने पत्र में उसने लिखा कि वह रिहाई के बाद किसी की देखरेख में नहीं रहना चाहता है। उसने लिखा कि जब वह महज नौ साल का था, तभी से उसका यौन शोषण किया जाने लगा था। उसके विभिन्न मालिकों ने कई साल तक उसका शोषण जारी रखा। अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह सब सहने के लिए मजबूर था। उसका परिवार बेहद गरीब था। उसके पांच भाई-बहन हैं। उसके पिता की मानसिक हालत ठीक नहीं हैं। वह अपने मां-बाप व परिवार के अन्य सदस्यों का पेट पालता था।

अपने पत्र में उसने कहा कि हो सकता है कि समाज उसे स्वीकार नहीं करे, इसलिए वह अपनी पहचान बदलने के लिए भी तैयार है। उसने सरकार से नौकरी दिलवाए जाने की मांग की ताकि वह अपनी रिहाई के बाद घर का खर्च चला सके। उसने कहा कि चूंकि वह अब किशोर नहीं रहा, इसलिए वह रिहाई के बाद किसी की देखरेख में नहीं रहना चाहता है। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान उसकी रिहाई को लेकर जो कुछ हुआ है, उससे उसे यह आशंका हो गई है कि कहीं उसे किसी एनजीओ की देखरेख में न रख दिया जाए।

उसकी इस आशंका का कारण निर्भया के माता-पिता, मेनका गांधी व सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा गृह मंत्रालय व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखे गए पत्र हैं। सबसे पहले निर्भया के परिवार ने गृह मंत्रालय व आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि वह समाज के लिए खतरा है, इसलिए उसकी पहचान उजागर करने के साथ ही उस पर नजर रखनी चाहिए ताकि वह भविष्य में कोई और अपराध न कर सके। कानूनन ऐसा नहीं किया जा सकता है। उसे खतरा है कि कहीं सुधारगृह में उसकी फोटो लेकर उसे सोशल मीडिया पर न डाल दिया जाए। मालूम हो कि 16 दिसंबर को उसकी तीन साल की सजा पूरी हो रही है।

केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी गृह मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा कि समाज में बलात्कार के अपराधी रहे लोगों पर हमेशा नजर रखी जानी चाहिए। यह लोग समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा होते हैं। यह बात सभी अपराधियों पर लागू होती है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी गृह मंत्रालय को ऐसा ही पत्र लिखा। मानवाधिकार आयोग ने गृह मंत्रालय से पूछा है कि वह इस मामले में लोगों के सरोकारों को ध्यान में रखते हुए क्या कदम उठा रहा है। उसने उसकी मानसिक और मनोवैज्ञानिक हालत के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है।

इस बीच आइबी व एनआइए उसकी रिहाई के पहले यह पता लगा रही है कि मजनूं का टीला स्थित सुधार गृह में रहते हुए जब वह दिल्ली हाई कोर्ट बम कांड के एक अभियुक्त के संपर्क में आया तो उसने उसे जेहादी बनने के लिए प्रेरित कि या। इस किशोर अपराधी ने बम कांड के संबंध में ईमेल भेजे थे। ये दोनों अपराधी उन दिनों एक ही सेल में वहां रखे गए थे।

बांड भरवाने का विचार :
निर्भया मामले के किशोर दोषी की रिहाई पर निर्भया के मां-बाप की चिंताओं के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय रिहाई के बाद किशोर दोषी से अच्छे व्यवहार के बारे में कानूनी बांड पर दस्तखत कराने पर विचार कर रहा है। आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 के तहत यह बांड किशोर दोषी के बाल सुधार गृह से रिहाई के बाद शांति बनाए रखने में सुरक्षा का काम करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, मंत्रालय इस बाबत विकल्प पर विचार कर रहा है क्योंकि कानूनी तौर पर उसे सीखचों के अंदर रखना संभव नहीं है। वह इस माह रिहा होने वाला