उत्तर प्रदेश के हाथरस में ‘काले जादू’ के नाम पर एक 9 साल के स्कूल छात्र की हत्या कर दी गई। पुलिस ने अब तक इस मामले में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि 23 सितंबर को बच्चे का शव आगरा से 35 किलोमीटर दूर सादाबाद इलाके में स्कूल निदेशक की कार में मिला था। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अशोक कुमार ने कहा कि स्कूल निदेशक दिनेश बघेल, उनके पिता जसोधन सिंह और तीन स्कूल शिक्षकों रामप्रकाश सोलंकी, वीरपाल सिंह और लक्ष्मण सिंह को गिरफ्तार किया गया है।
क्या है बच्चे को मारने के पीछे की कहानी?
पुलिस के मुताबिक बच्चे की हत्या के पीछे कथित ‘काले जादू’ की योजना थी यानी निदेशक और शिक्षकों का मानना था कि बच्चे की बलि देने से स्कूल को प्रसिद्धि मिलेगी और निदेशक के परिवार की समस्याएं दूर हो जाएंगी।
पुलिस ने बताया कि स्कूल के एक कमरे से रस्सी, धार्मिक तस्वीरें और चाबी भी मिली है। एसएसपी अशोक कुमार ने बताया कि 22 सितंबर को रात करीब 12 बजे जब स्कूल के छात्र सो रहे थे, तब स्कूल के शिक्षक सोलंकी ने बच्चे को उसके बिस्तर से उठाया और बाहर ले आया। उन्होंने उसे एक कमरे में रखा जहां बलि देने की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह बीच में ही जाग गया और रोने लगा। इसके बाद सोलंकी ने उसका मुंह बंद कर दिया और उसे हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर ले जाकर उसका गला घोंट दिया।
एसएसपी कुमार ने बताया कि शिक्षक वीरपाल और लक्ष्मण सिंह निगरानी के लिए वहां खड़े थे।निदेशक के पिता जसोधन सिंह ने अपने बेटे दिनेश बघेल को पहले ही इस अनुष्ठान के बारे में बता दिया था और वह शव को दफनाने के लिए तैयार था।
बच्चे के पिता ने 23 सितंबर को सहपऊ पुलिस स्टेशन में अपने बेटे की मौत के लिए स्कूल निदेशक को दोषी ठहराते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई। पिता ने कहा, “बघेल ने 23 सितंबर की सुबह हमें फोन किया और कहा कि मेरे बेटे की तबीयत ठीक नहीं है और वह उसे तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए स्थानीय अस्पताल ले जा रहे हैं। फिर उसने हमें बताया कि वह मेरे बेटे को आगरा ले जा रहे हैं क्योंकि उसकी हालत खराब हो गई है। हमें संदेह हुआ और हमने क्षेत्र की पुलिस को सूचित किया। हमने भी बघेल से इंतजार करने के लिए कहा और उसका पीछा किया, इसके बाद उसकी कार में बेटे का शव मिला।”
पुलिस ने उसी दिन दिनेश बघेल को हिरासत में लिया लेकिन लड़के की हत्या के पीछे का मकसद पता नहीं लगा सकी। पुलिस ने एक बयान में कहा,“हमने बघेल को हिरासत में लेने के बाद अपनी जांच शुरू की और रसगवा गांव में उसके और उसके परिवार के कई करीबी लोगों से बात की। हमें पता चला कि उसके पिता जसोधन सिंह जादू-टोने में विश्वास करते हैं और उन्होंने अपने बेटे को दो महीने पहले एक नाबालिग लड़के की बलि देने की सलाह दी थी, लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी। हमने पिता से पूछताछ की और उसने जघन्य अपराध के पीछे की सच्चाई बताई।”
इसके बाद पुलिस ने बघेल से फिर से पूछताछ की और उसने उन्हें बताया कि अपने पिता की सलाह पर उसने राम प्रकाश सोलंकी को 22 सितंबर की रात को नाबालिग को उसके हॉस्टल के कमरे से ले जाने के लिए कहा था। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “बघेल ने शुरू में हमें बताया था कि बच्चा बीमार है और इसलिए वह उसे पहले सादाबाद के एक अस्पताल और फिर आगरा ले गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और इसलिए वह उसे वापस हाथरस के रसगवां ले जा रहा था।”