असम सरकार द्वारा सरकारी मदरसे बंद करने के ऐलान और कुंभ आयोजना पर सरकारी पैसा खर्च करने पर सियासी घमासान जारी है। टीवी चैनल न्यूज18 इंडिया के डिबेट शो ‘आर पार’ में इसी मुद्दे पर खूब बहस हुई। डिबेट में AIMIM प्रवक्ता असीम वकार से जब पूछा गया कि कुंभ मेला और मदरसे की तुलना करना क्या सही है? उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जब सरकार बनाई थी तब कहा कि था कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा। 15 लाख रुपए हर किसी को मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि ‘इस हिसाब से छह साल में 12 करोड़ नौकरियां हो गईं। आप छह करोड़ हिंदुओं को ही नौकरियां दे दी दीजिए। मुसलमानों को मत दीजिए। छह करोड़ हिंदुओं को ही 15-15 लाख रुपए दे दीजिए। फिर आप सारे मदरसे बंद कर दीजिए। एक भी मदरसा खुला मत छोड़िए। कोई मदरसा खुला रहा तो मैं खुद बता दूंगा।’

दरअसल सारा विवाद तब शुरू हुआ जब असम के शिक्षा और वित्त मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में चल रहे सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत पढ़ाई वाले ‘तोल’ को बंद कर देगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार धार्मिक आधार पर दी जाने वाली शिक्षा के लिए सरकारी फंड्स नहीं खर्च करेगी। असम सरकार अभी 614 मदरसे और 100 संस्कृत स्कूल चलाती है।

इसके बाद कांग्रेस नेता उदित राज ने ट्वीट कर कहा कि सरकारी पैसे से किसी धर्म की पढ़ाई नहीं की जानी चाहिए और ना ही कर्मकांड हों। उन्होंने कहा कि सरकार का कोई धर्म नहीं होना चाहिए। इलाहाबाद के कुंभ मेले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 4200 करोड़ रुपए का खर्च भी नहीं होना चाहिए था। उनके इस ट्वीट के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर चौतरफा हमला कर दिया।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर कहा कि ये गांधी परिवार की सच्चाई है। पहले हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भगवान राम सिर्फ काल्पनिक हैं। उनका कोई अस्तित्व ही नहीं। अब कांग्रेस का कहना है कि कुंभ मेला भी बंद होना चाहिए। तभी तो दुनिया कहती हैं कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सुविधावादी हिंदू हैं।

इधर मामला बढ़ता देख उदित राज अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने कुंभ मेले का उदाहरण दिया है। जनतंत्र में राज्य की जो अवधारणा है कि सरकार का कोई धर्म नहीं है। इसलिए सबके लिए बराबर मापदंड होना चाहिए।