दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। हालात ये हैं यमुना नदी का पानी ITO, राजघाट और लाल किले की तरफ बढ़ चला है। यमुना नदी से सटे निचले इलाकों को दिल्ली सरकार ने पहले ही खाली करवा लिया है। यमुना के जलस्तर को देखते हुए दिल्ली मेट्रो ने नदी के ऊपर अपनी ट्रनों की स्पीड घटाने का फैसला लिया है और यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के गेट्स को बंद कर दिया है। आइए आपको बताते हैं देश की राजधानी नई दिल्ली में आखिर ऐसे हालात क्यों पैदा हो गए।

राजधानी दिल्ली में यमुना नदी में जलस्तर के बढ़ने की मुख्य वजह हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाना है। हथिनीकुंड बैराज से लगभग हर बार मानसून के सीजन में पानी छोड़ा जाता है। जब-जब यहां से पानी छोड़ा जाता है दिल्ली में यमुना के जलस्तर में इजाफा हो जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर ऐसा हर साल होता है तो इस बार दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं।

सेंट्रल वाटर कमीशन के अधिकारियों के अनुसार, इस साल हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी कम समय में दिल्ली पहुंच गया। ऐसा पानी की गति की वजह से हुआ। कहा जा रहा है कि यमुना के आसपास अतिक्रमण की वजह से इसके बहने के लिए जगह लगातार कम हो रही है। इसके अलावा नदी के ऊपरी तल (रिवरबेड) में गाद की मात्रा भी बाढ़ की एक वजह से हो सकती है।

हरियाणा का हथिनीकुंड बैराज यमुनानगर में है। इसकी राजधानी नई दिल्ली से दूरी करीब 180 किलोमीटर है। यहां से छोड़ा गया पानी दिल्ली पहुंचने में लगभग दो से तीन दिन का समय लगाता है। CWC के एक अधिकारी ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में पिछले सालों की तुलना में कम समय लगा। इसकी बड़ी वजह अतिक्रमण और गाद हो सकते हैं।

कम समय में ज्यादा बारिश

राजधानी नई दिल्ली में पिछले हफ्ते अच्छी बारिश हुई। बीते शनिवार और रविवार बीते 40 सालों में दिल्ली के सबसे ज्यादा बारिश हुई। दिल्ली में रविवार सुबह 8.30 बजे 153एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली ने इससे पहले 24 घंटे में 100 मिमी बारिश झेली है लेकिन राजधानी का सिस्टम इतनी बड़ी मात्रा में बारिश झेलने के लिए तैयार नहीं है। अगर इतनी ही बारिश कई दिनों में होती तो हालात नहीं बिगड़ते।