आम आदमी पार्टी (AAP) ने पिछले सात वर्षों में भाजपा पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का उपयोग करने का आरोप लगाया। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित दिल्ली पुलिस पर कथित रूप से AAP विधायकों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया। लेकिन दिल्ली में अब स्थिति बदली-बदली सी नजर आ रही है।

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लेकिन पिछले हफ्ते दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी पर आप और भाजपा के बीच तनातनी हुई। अब ऐसा लग रहा कि स्थिति बदल गई है। इस बार बीजेपी ने आप पर पंजाब में राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, जहां वह सत्ता में है। 2015 में दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत के बाद सत्ता में आने के बाद से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP के भाजपा के साथ एक काफी ‘चर्चित रिश्ते’ रहे हैं।

अरविन्द केजरीवाल द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभालते ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीबीआई ने उनके सचिव राजेंद्र कुमार द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों पर छापा मारा था। इसके बाद अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कायर और मनोरोगी करार देते हुए निशाना साधा था। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से AAP ने यह महसूस करते हुए नरमी बरती कि मोदी पर हमला करने से उसे वह चुनावी लाभ नहीं मिल रहा था, जो वह चाहती थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “लोग हमें लड़ते हुए नहीं देखना चाहते थे। भाजपा यह धारणा बनाने में कामयाब रही कि हम केवल लड़ना चाहते हैं और शासन करना नहीं जानते। हमने निश्चित रूप से सुधार किया है।”

2019 में जब AAP ने लोकसभा चुनावों के लिए एक आक्रामक अभियान शुरू किया और एक भी सीट जीतने का कामयाब नहीं रही, तो एक निर्णय लिया गया और केजरीवाल ने मोदी के बारे में बात करना बंद कर दिया। फिर अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में उनकी सरकार के काम और स्कूलों, अस्पतालों में सुधार और पानी और बिजली मुफ्त में उपलब्ध कराने के ‘दिल्ली मॉडल’ के बारे में बात की। लेकिन जब AAP ने पंजाब में जीत हासिल की, तो हमने केजरीवाल सहित वरिष्ठ नेताओं को भाजपा और पीएम मोदी को निशाने पर लेते देखा। ये कुछ ऐसा कदम था जो AAP के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने 2019 के बाद से नहीं किया था।

AAP के भीतर कुछ लोग मानते हैं कि तजिंदर बग्गा के खिलाफ कार्रवाई करके AAP शायद भाजपा के ही पिच पर खेल गई है। पार्टी के एक नेता ने कहा, “बग्गा भाजपा के बड़े नेता नहीं हैं। पार्टी की राज्य इकाई के लिए उनके पास कुछ है लेकिन उन्हें चुनावी रूप से बहुत अधिक समर्थन नहीं मिला है। लेकिन पंजाब पुलिस की कार्रवाई और उसके बाद हुए ड्रामे की वजह से वह एक हफ्ते पहले की तुलना में अचानक बड़े नेता हो गए हैं। पूरी गाथा ने AAP को थोड़ा अपरिपक्व दिखाया है।”