विवादों में घिरे आप विधायक सोमनाथ भारती सुप्रीम कोर्ट से किसी प्रकार की राहत पाने में आज असफल रहे जिसने उन्हें घरेलू हिंसा एवं हत्या की कोशिश के मामले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। भारती की पत्नी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा एवं हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कराया है।
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने मामले की सुनवाई गुरूवार के लिए स्थगित करते हुए कहा कि उन्हें आज शाम तक पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया जाता है। पीठ ने पूर्व कानून मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम का यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि भारती को आत्मसमर्पण के लिए कल तक का समय दिया जाए। भारती अभी फरार हैं।
पीठ ने इस अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया था कि उन्हें आत्मसमर्पण के लिए शाम सात बजे तक का समय दिया जएगा। पीठ ने कहा, ‘‘ नहीं, हम समय नहीं देंगे। यदि आप चाहते हैं कि आपके मामले पर गुरुवार को सुनवाई हो तो आपको आज आत्मसमर्पण करना होगा।’’
सुब्रमण्यम ने कहा कि यह पूरा मामला वैवाहिक विवाद का परिणाम है जिसमें न केवल दंपती बल्कि उनके दोनों बच्चों भी पीड़ित हैं। अदालत को निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भारती की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ अपील की सुनवाई करते समय यह बात ध्यान में रखनी चाहिए।
हालांकि पीठ ने कहा, ‘‘यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि दो अदालतों (निचली अदालत एवं उच्च न्यायालय) में आपकी याचिका खारिज कर दी गई है। आप अग्रिम जमानत याचिका लेकर निचली अदालत गए थे लेकिन आपको सफलता नहीं मिली। आप अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय गए, आपको सफलता नहीं मिली। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आपका क्या कर्तव्य है।’’
उसने कहा, ‘‘पहले आप आत्मसमर्पण करें, इसके बाद हम विचार करेंगे कि इस मामले को मध्यस्थता केंद्र भेजा जाना चाहिए या नहीं। हम चाहते हैं कि पारिवारिक विवाद सुलझे लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हम एक भगोड़े की रक्षा करेंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम उनकी पत्नी से पूछेंगे कि क्या वह मध्यस्थता के लिए तैयार है या नहीं। हम चाहते हैं कि परिवार साथ रहें। हम पारिवारिक जीवन में बाधा नहीं चाहते।’’
पीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक भारती आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, तब तक वह इस मामले पर गौर नहीं करेगी। भारती ने मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर फैसला होने तक दिल्ली पुलिस को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का आदेश देने के लिए 23 सितंबर को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय ने भारती की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए ‘‘दस्तावेजी सबूत’’ है।