पटना उच्च न्यायालय द्वारा राजद के विवादास्पद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में जमानत देने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर दो याचिकाओं पर आज सुनवाई दो दिन के लिए टल गई क्योंकि राजद के इस नेता की ओर से बहस करने वाले मशहूर वकील राम जेठमलानी सोमवार (26 सितंबर) को उपस्थित नहीं हुए। न्यायालय ने शहाबुद्दीन के दावे को अस्वीकार कर दिया कि हत्या के इस मामले में उनका मीडिया टृ्रायल हो रहा है और उन्हें अपना बचाव तैयार करने के लिए अधिक समय दिया जाए। न्यायमूर्ति पी. सी. घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार (28 सितंबर) के लिए तय की और कहा कि उसे दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखना है।

शहाबुद्दीन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने आग्रह किया कि मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए क्योंकि जेठमलानी उपलब्ध नहीं हैं और उपयुक्त बचाव के लिए मामले के बड़े केस रिकॉर्ड को पढ़ने की जरूरत है। पीठ ने कहा, ‘चूंकि मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं इसलिए दोनों पक्षों की बात सुने बगैर हम आदेश पारित नहीं करेंगे। हम इसे बुधवार (28 सितम्बर) के लिए तय कर रहे हैं।’ शहाबुद्दीन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शेखर नफडे ने कहा कि उनका मुवक्किल मीडिया ट्रायल से पीड़ित है और उसे अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए।

दो अलग-अलग अपराध में अपने तीन बेटों को खोने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद का प्रतिनिधित्व करते हुए मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘हर दिन यह व्यक्ति समाज के लिए खतरा है। सूची (शहाबुद्दीन के खिलाफ मामले) को देखिए। वह 10 मामले में दोषी है। उसके खिलाफ 45 आपराधिक मामले लंबित हैं। दो मामलों में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है।’ शहाबुद्दीन को सात सितम्बर को पटना उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी। इसके बाद दस सितम्बर को वह भागलपुर जेल से रिहा हो गए थे। वह दर्जनों मामलों में 11 वर्ष से जेल में बंद थे। भूषण के हलफनामे का बिहार की नीतीश कुमार नीत सरकार ने समर्थन किया जिसमें राजद एक बड़ा सहयोगी दल है।

राज्य सरकार के वकील ने पीठ से कहा, ‘यह अत्यंत महत्वपूर्ण मामला है। मामले में केवल एक गवाह है जो बुजुर्ग पिता है जिसके तीन बेटे मारे जा चुके हैं और अगर उनको (चंद्रकेश्वर प्रसाद) कुछ होता है तो फिर दोनों मामले खत्म हो जाएंगे।’ हलफनामे से क्षुब्ध पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने में राज्य सरकार की तरफ से हुए विलंब पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘हम जानते हैं कि मामले में आपने क्या जरूरत दिखाई है।’

नफडे ने सवाल किया, ‘सात सितम्बर को जमानत दी गई और दस सितम्बर को वह रिहा हुए। 16 सितम्बर को याचिका दायर की गई। वे कहां थे? उन्होंने तब जरूरत क्यों नहीं दिखाई?’ इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इसमें और विलंब नहीं करना चाहते हैं। आप दस्तावेज लाइए और तैयार रहिए (उस दिन)। हम आज कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते। हम दोनों पक्षों की बात सुनेंगे।’ जेठमलानी के बुधवार को भी मौजूद नहीं रहने की याचिका पर अदालत ने कहा, ‘हम उस दिन शुरुआत करते हैं और उन्हें (जेठमलानी) उसके बाद सुन लेंगे।’ इसने कहा कि गवाहों की ‘हत्या’ हो रही है और मामले में और विलंब करना सही नहीं होगा। प्रसाद, उनकी पत्नी कलावती और बिहार सरकार की तरफ से दायर तीन अपील सुनवाई के लिए सोमवार (26 सितंबर) को सूचीबद्ध थी।