शहला राशिद शोरा को देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनावों में केंद्रीय पैनल चुनाव लड़ने और जीतने वाली पहली कश्मीरी लड़की होने का गौरव प्राप्त हुआ है। शहला ने बताया कि उन्हें अपने राज्य जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दायरा ‘‘काफी सीमित’’ लगा था।
वामपंथी पार्टी भाकपा-माले की छात्र शाखा ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) के टिकट पर जेएनयू छात्रसंघ का चुनाव लड़ने वाली शहला को उपाध्यक्ष चुना गया। उन्होंने कल ‘‘लाल सलाम’’ के नारों के बीच उपाध्यक्ष पद की शपथ दिलाई गई।
इंजीनियर से राजनीतिक कार्यकर्ता बनी शहला को 1,387 वोट मिले जो इस साल जेएनयू छात्र चुनावों में किसी उम्मीदवार को मिले सर्वाधिक वोट हैं। उन्होंने भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उम्मीदवार वैलेनटाइना ब्रह्मा को 234 वोटों से मात दी।
उन्होंने कहा, ‘‘इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन का अध्ययन करने के बाद मैं कॉरपोरेट जगत में दाखिल हुई, लेकिन जल्दी ही इससे मेरा मोहभंग हो गया। कार्यकर्ता बनकर मैंने किशोर न्याय और कश्मीर में तेजाब हमलों का मुद्दा उठाया लेकिन मुझे महसूस हुआ कि वहां का राजनीतिक दायरा काफी सीमित है।’’
शहला ने बताया, ‘‘जेएनयू में मैंने पाया कि यहां अपनी राजनीतिक भावना को जाहिर करने के लिए पर्याप्त जगह है। बहरहाल, एक गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली एक कश्मीरी लड़की के पक्ष में वोटरों को तैयार करना बड़ी चुनौती थी।’’
उन्होंने बताया कि वह ‘‘दक्षिणपंथी विचारधारा के उदय से मुकाबला’’ करना चाहती हैं ताकि ‘‘असल इतिहास’’ को बदलने से इसे रोका जा सके। जेएनयू से वह कानून एवं प्रशासन में एमफिल कर रही हैं।