वरिष्ठ आइएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन ने उपराज्यपाल नजीब जंग से दिल्ली के उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ पत्र लिखकर शिकायत की है। गैमलिन का आरोप है कि जैन उन पर औद्योगिक भूखंडों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने को लेकर दबाव डाल रहे हैं। हालांकि मंत्री ने इस आरोप का कड़ाई से इनकार किया है।
पत्र में गैमलिन ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के तहत भूमि नहीं आने के तथ्य के बावजूद उद्योग मंत्री उन पर मंत्रिमंडल के लिए एक टिप्पणी सौंपने का दबाव डाल रहे हैं जिसमें औद्योगिक भूमि को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का प्रस्ताव हो। वहीं जैन ने कहा कि उन्होंने संबद्ध विभाग को इस प्रस्ताव की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए लिखा था जिसके बारे में विभिन्न संगठनों ने उन्हें ज्ञापन दिए थे।
जैन ने कहा-अगर मुझे कई संगठनों से ज्ञापन मिले तो क्या मैं उसे संबद्ध विभाग के पास जांच के लिए नहीं भेजूंगा। क्या यह स्वाभाविक नहीं है कि संबद्ध विभाग से किसी विशिष्ट प्रस्ताव की जांच के लिए और इसकी व्यवहार्यता पर गौर करने के लिए कहा जाए। बेहतर होता कि संबद्ध अधिकारी किसी अन्य प्राधिकार के पास जाने के बजाए मेरे पास वापस आता जबकि उसे मीडिया में लीक कर दिया गया। मैं समझ पाने में विफल हूं कि किस तरह के दबाव की बात की जा रही है।
प्रमुख सचिव (बिजली व उद्योग) गैमलिन ने अपने पत्र में कहा-उद्योग मंत्री लगातार मुझ पर मंत्रिपरिषद के लिए टिप्पणी सौंपने का दबाव डाल रहे हैं जिसमें शहर के औद्योगिक भूखंडों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का प्रस्ताव हो। जबकि उनके संज्ञान में लाया गया है कि यह मामला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के दायरे में नहीं है और इसके कानूनी नतीजे हो सकते हैं।
गैमलिन की कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद जब अपने चरम पर था तो आप सरकार ने इस आइएएस अधिकारी पर 11 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के जरिए बिजली वितरण कंपनियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।
गैमलिन ने पत्र में कहा-भूलवश या अन्य कारणों से दिल्ली में कुछ औद्योगिक भूखंडों की तब्दीली का आदेश भूमि स्वामित्व करने वाली एजंसी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को शामिल किए बिना दे दिया गया। बताया जाता है कि इस मामले की दिल्ली सरकार का सतर्कता विभाग समीक्षा कर रहा है। मंत्री की जानकारी में यह बात लाए जाने के बावजूद मैंने इस विषय पर मंत्रिपरिषद के लिए टिप्पणी लिखने का दबाव बनाए रखना जारी रखा और इस संबंध में कई अवसरों पर अपनी खिन्नता भी जताई।
गैमलिन ने कहा कि नियमों के तहत राज्य सरकार किसी भी तरह भूमि के प्रशासन में शामिल नहीं है। ऐसे मामलों में उपराज्यपाल डीडीए का अध्यक्ष होने की हैसियत से डीडीए की सलाह पर कार्रवाई करता है। उन्होंने लिखा-केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1961 में विभिन्न मकसद से दिल्ली में जमीन के अधिग्रहण, विकास और लीज प्रशासन के लिए एक नीति बनाई थी। इस तरह अधिग्रहीत भूमि ‘नाजुल भूमि’ कहलाती है और इसे भारत के राष्ट्रपति के नाम पर रखा जाता है। इसका प्रबंधन करने के अधिकार उपराज्यपाल के पास होते हैं।
गैमलिन ने कहा-गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार (उस समय पूर्ववर्ती सरकार) को इस भूमि के एक विकासकर्ता के रूप में मान्यता नहीं दी थी। डीडीए ने 1981 में नाजुल भूमि के विकास व निस्तारण के लिए नियम बनाए थे जो आज भी लागू हैं।
भाजपा ने आप सरकार पर हमला बोलते हुए इस मामले की जांच कराए जाने की मांग की वहीं कांग्रेस ने दिल्ली सरकार का समर्थन किया। दिल्ली प्रदेश कांगे्रस समिति के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि हम लीजहोल्ड को फ्रीहोल्ड में बदले जाने का समर्थन करते हैं।
* गैमलिन ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के तहत भूमि नहीं आने के तथ्य के बावजूद उद्योग मंत्री उन पर मंत्रिमंडल के लिए एक टिप्पणी सौंपने का दबाव डाल रहे हैं जिसमें औद्योगिक भूमि को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का प्रस्ताव हो।
* आरोपों पर जैन ने कहा कि उन्होंने संबद्ध विभाग को इस प्रस्ताव की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए लिखा था जिसके बारे में विभिन्न संगठनों ने उन्हें ज्ञापन दिए थे।
