2019 लोकसभा चुनाव से तकरीबन दो साल पहले अणित शाह ने दक्षिण के सूबों को फतह करने का प्लान बनाया था। नरेंद्र मोदी की अपील और संघ के जोर पर दक्षिण के सूबों में मजबूत पैठ जमाने के लिए शाह की रणनीति हालांकि अभी भी अधूरी है। इसमें साउथ के लोकप्रिय फिल्म स्टारों के साथ दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को बीजेपी में शामिल कराना था और अपनी पार्टी के ताकतवर नेताओं को और ज्यादा अहम किरदार देना था।
लेकिन 2024 को देखते हुए बीजेपी अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करके साउथ में फिर से पैठ जमाने की कोशिश कर रही है। कुछ चुनिंदा इलाकों पर फोकस करके भगवा दल को उन जगहों पर जीत दिलाने की रणनीति बनाई जा रही है जहां उसके पास थोड़ी बहुत जमीन है। पार्टी नेतृत्व मान रहा है कि साउथ एक अलग तरह का मैदान है, जहां उसे अपनी विभाजनकारी छवि को सुधारकर वेलफेयर पॉलिटिक्स के एजेंडे पर काम करना होगा।
दक्षिण के पांच में से तीन सूबों में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व है। बीजेपी को इनसे लड़ने के लिए परिवारवाद पर हमला ही कारगर दिख रहा है। क्षेत्रीय दलों से पार पाने का उसके पास दूसरा कोई बेहतर विकल्प नहीं है। 2014 से बीजेपी का नारा कांग्रेस मुक्त भारत का रहा है। लेकिन अब उसे परिवारवाद की राजनीति से मुक्त भारत का नारा बुलंद करना होगा। पीएम मोदी अर्से से परिवारवाद को लेकर विरोधियों पर निशाना भी साधते रहे हैं।
मोदी अक्सर कहते हैं कि परिवार में आस्था से ज्यादा देश और राष्ट्रभक्ति में आस्था जरूरी है। उनका कहना है कि सत्ता पर काबिज परिवार कभी युवाओं का भला नहीं कर सकते। युवाओं को इन दलों से हमेशा ही धोखा मिला है। इन लोगों के लिए परिवार और विरासत ही अहम होती है। ये विकास की नहीं सोचते। परिवारवाद की राजनीति कर रहे ये लोग लोकल बॉडीज से लेकर संसद तक अपने ही लोगों को आगे बढ़ाते रहते हैं।
हैदराबाद के कांक्लेव में बीजेपी की बदली हुई रणनीति की झलक देखने को भी मिली। मोदी ने वर्कर्स से अपील की कि वो ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोगों को भरमाने की कोशिश करें। बीजेपी को पता है कि कर्नाटक को छोड़ बाकी सूबों में उसकी राह मुश्किल भरी है। लिहाजा सीटों पर फोकस हो रहा है। केंद्रीय मंत्रियों को उनका चार्ज देकर जीत की कोशिश की जा रही है।
इन लोगों की जिम्मेदारी केंद्र की नीतियों को लोगों तक पहुंचाना है। रणनीति के तहत ही एस जयशंकर, अश्वनि कुमार चौबे, शोभा करंदलजे को केरल का चार्ज दिया गया है। तमिलनाडु में बीजेपी वन्नियार समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है। नई रणनीति में 150 कमजोर सीटों पर फोकस किया जा रहा है। तेलंगाना में बीजेपी विकल्प के तौर पर उभरी है। इसी रणनीति के तहत पीटी ऊषा समेत कुछ दिग्गजों को राज्यसभा में भेजा गया है।