सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारत-फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे की नए सिरे से जांच कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार किया तो वकील एमएल शर्मा ने इसको वापस लेने का फैसला किया। हालांकि बेंच ने एमएल शर्मा की इस दलील पर विचार किया कि सौदे से संबंधित नए साक्ष्य एकत्र करने के लिए अनुरोध पत्र जारी करने का निर्देश दिया जाए। उनकी मांग थी कि मामले में पेमेंट से जुड़े दस्तावेज मंगाने के लिए Letter Rogatory जारी किया जाए।

वकील एमएल शर्मा ने सु्प्रीम कोर्ट में एक नई में याचिका दायर की थी। उन्होंने राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मामला चलाए जाने को लेकर कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि फ्रांस के मीडिया पोर्टल का दावा है कि राफेल डील के के लिए मिडिलमैन को एक मिलियन यूरो का भुगतान किया गया था। उनका कहना था कि मामले में केस दर्ज करके जांच की जाए तो सारा सच सामने आ जाएगा। उन्होंने अपनी याचिका में पीएम मोदी के साथ सीबीआई को भी पार्टी बनाया था।

एमएल शर्मा की कोर्ट से अपील थी कि मामले की जांच कराई जाए नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा जब हर व्यक्ति खुद को असहाय महसूस करेगा। वकील ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कोई सामने नहीं आया। ना ही किसी ने इस पर सवाल उठाया। सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि, हमने पहले ही आदेश पारित कर दिया है। दोबारा सुनवाई की जरूरत नहीं है।

फ्रांस से ऐसे खबर आई थी बाहर

फ्रेंच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी AFA की जांच रिपोर्ट के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक राफेल बनाने वाली डसॉल्ट एविएशन ने कुछ बोगस नजर आने वाले भुगतान किए हैं। कंपनी के 2017 के खातों के ऑडिट में 5 लाख 8 हजार 925 यूरो (4.39 करोड़ रुपये) क्लाइंट गिफ्ट के नाम पर खर्च दर्शाए गए। मॉडल बनाने वाली कंपनी का मार्च 2017 का एक बिल ही दिखाया गया है। इन मॉडल के लिए 20 हजार यूरो (17 लाख रुपये) प्रति एक के हिसाब से भुगतान किया गया। हालांकि, यह मॉडल कहां और कैसे इस्तेमाल किए गए, इसका कोई सबूत नहीं दिया गया।

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से राफेल सौदे का मुद्दा सबसे ज्यादा उठाया गया था। हालांकि इस मुद्दे पर कांग्रेस को सफलता नहीं मिली और बीजेपी दोबारा सरकार बनाने में सफर रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले कोर्ट की निगरानी में राफेल डील की जांच की मांग से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं।