नई दिल्ली नगर परिषद यानी एनडीएमसी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सदस्यता रद्द करने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया है। एनडीएमस के सदस्य कुलजीत सिंह चहल ने केजरीवाल की सदस्यता को रद्द कराने कि लिए प्रस्ताव पेश किया है।

कुलजीत चहल ने अरविंद केजरीवाल को लेकर अपना गुस्सा निकाला और कहा कि आरटीआई के जरिए पता चला है कि वो कितने कामचोर हैं। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ एक आरटीआई नहीं बल्कि सीएम केजरीवाल की कारगुजारी का एक खुलासा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पिछले 7 सालों में एक भी ऐसी मीटिंग नहीं की, जिसमें एंप्लॉयज की परेशानियां सुनी गई हों या उनके लाभ पहुंचाने की बात की गई हो। उन्होंने कहा कि जनसुविधा कैंप एनडीएमसी की बहुत बड़ी ताकत है, जिसके जरिए जनता से संवाद कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। चहल का आरोप है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 4 महीने तक परिषद की बैठकों से नदारद रहे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री परिषद की मीटिंग में शामिल ना होकर सिर्फ पॉलिटिकल टूरिज्म में रहते हैं।

उन्होंने काउंसिल एक्ट का हवाला देते हुए कहा, “परिषद का सदस्य होने के नाते अपने अधिकार का उपयोग करते हुए मैंने केजरीवाल की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव रखा है। इस पर लॉ डिपार्टमेंट की रिपोर्ट भी आ चुकी है कि प्रस्ताव कानून के अंतर्गत आता है और सदस्यता रद्द की जा सकती है।” उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में काउंसिल मीटिंग में उनके प्रस्ताव पर निश्चित रूप से चर्चा होगी और चाहे बहुमत से या कैसे भी अरविंद केजरीवाल को काउंसिल की सदस्ता से हाथ धोना पड़ेगा।

जानें क्या कहता है काउंसिल एक्ट
कुलजीत चहल ने बताया कि काउंसिल एक्ट की धारा 8 (2) कहती है कि अगर कोई भी सदस्य परिषद की अनुमति के बिना लगातार तीन मीटिंग में शामिल नहीं होता है तो, काउंसिल उसकी सदस्यता को समाप्त करने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेज सकती है।