हाल ही में हुए दिल्ली के नगर निगम चुनाव को लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी प्रदेश भाजपा से नाराज है। कुछ दिनों पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक में यह नाराजगी सामने आई है। राष्टÑीय नेतृत्व ने दिल्ली से यह तक सवाल किया है कि इस बार के चुनाव में प्रदेश के नामों का तव्वजों दी गई और प्रचार में राष्टÑीय चेहरों को भी उतारा गया। इसके बाद भी मामला फीका रहा और परिणाम आया शून्य। अब इसका उत्तर भी प्रदेश के नेता ढूंढते फिर रहे हैं। भई है भी बिल्कुल साफ! तीनों निगमों पर कब्जा जमाए पार्टी निगम के सेमीफाइनल में ही जीरो पर आउट हो गई। जबकि अभी अंतिम मुकाबला तो बाकी है। अब शीर्ष नेतृत्व नाराज न हो तो क्या हो।

यह कैसा डर!

कोरोना के बढ़ते मामलों की चिंता सरकार को परेशान कर रही थी। इसलिए अपने तय समय से पहले ही दिल्ली विधानसभा स्थगित कर दी गई। डर था कि भीड़ होने की स्थिति में संक्रमण का खतरा रहेगा। लेकिन मजे की बात यह है कि जैसे ही दिल्ली के आम आदमी पार्टी विधायक कोरोना के डर से विधानसभा छोड़ गए तो देर शाम वे भीड़भाड़ वाले एक कार्यक्रम में मिले। जी हां, दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में। यहां खूब रौनक थी। इस पर बेदिल ने विपक्ष के कई नेताओं को चुटकी लेते सुना कि क्या कनॉट प्लेस के रंगारंग कार्यक्रम में कोरोना का डर नहीं होगा।

मुसीबत वाला फोटो

फिल्मों व साहित्य की तर्ज पर समाज में कोरोना काल ने एक नया स्पष्टीकरण ईजाद किया है। जिस तरह से किसी तरह के विवाद से बचने के लिए किताबों या फिल्मों में रचनाकार डिसक्लेमर या स्पष्टीकरण देता है, उसी तरह का एक डिस्क्लेमर कोरोना काल की फोटोग्राफी में भी देखने को मिल रहा है। यह जिम्मेदारी तब और बढ़ जाती हो जब फोटो खिंचवाने वाले डॉक्टर हों। अब उनको फोटो खिंचवाने और उसे सोशल मीडिया पर उसे डालने के लोभ को देखते हुए कुछ इसी तरह का स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है ताकि डॉक्टरों को कोई लापरवाह न समझे।

क्योंकि सामजिक दूरी का पालन करना और मास्क लगाना यह दोनों ही शर्तें समूह में फोटो खींचने व सेल्फी में भी आड़े आ रही हैं। लिहाजा डॉक्टर ऐसे फोटो खींचने के दौरान मास्क उतारकर साथ-साथ खड़े होने को लेकर यह उद्घोषणा भी कर रहे हैं कि मास्क केवल फोटो खींचने भर के लिए उतारा है और समूह में लोग केवल फोटो के लिए पास-पास खड़े हैं।

मौके पर चौका

नोएडा औद्योगिक महानगर में सार्वजनिक रूप से सड़क पर खड़े होकर जाम टकराने वालों की शामत आई हुई है। लेकिन यह शामत भी सिर्फ गिने चुने ग्राहकों पर कभी-कभार ही आती है। जबकि वास्तविकता यह है कि महानगर में शाम होते हुए ज्यादातर बाजारों के इर्द-गिर्द सड़क किनारे या कार में बैठकर शराब पीना एक आम बात हो गई है। बताया जाता है कि शराब की दुकानों के आसपास संचालित होने वाली यह गतिविधि दुकानदारों की शह पर होती है।

पुलिस की गाड़ी भी सायरन मारते वहां से गुजरती है पर किसी को रोकती है। बेदिल ने पाया कि फिल्म सिटी, गंगा शॉपिंग कांप्लेक्स, सेक्टर- 37 गोदावरी मार्केट, सेक्टर- 18 आदि में कुछ इलाके पूरी तरह से शराब पीने के स्थायी अड्डे तक बन चुके हैं। इन सब जगहों की पूरी जानकारी पुलिस समेत प्रशासनिक अफसरों को है लेकिन सब चुप्पी साधे बैठे हैं। जब ऊपर से डंडा होता है तो मौके पर चौका मार ही लेते हैं। जैसे पिछले दिनों सड़क पर जाम छलकाते 200 से ज्यादा लोग हत्थे चढ़ गए।

दिन बहार के

बीते दिनों हुए दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में एक सीट पर जीत दर्ज कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले नेता जी और पार्टी के लिए जैसे बहार के दिन आ गए। वे इन दिनों फीता काटने में व्यस्त हैं। शुरुआत के दो दिनों में जहां बधाई देने वालों का तांता उनके घर लगा रहा। वहीं, बीते कुछ दिनों से नेता जी किसी न किसी कार्यक्रम में दिख ही रहे हैं।

दरअसल पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मानते हैं कि एक सीट पर जीत दर्ज करने वाले नेता जी के परिवार का दबदबा इलाके में बीते लंबे वक्त से रहा है। बीते कई चुनावों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। इस इस बार उपचुनाव में मिली जीत से पार्टी में खुशी की लहर है। यही कारण है कि अपनी साख बनाने के लिए छोटे-मोटे उद्घाटन समारोह में नेता जी पहुंच जाते हैं। बेदिल ने कहीं सुन ही लिया कि नेता जी बुलाने पर ही पहुंच रहे हैं या…।

काटी कन्नी

दिल्ली विधानसभा का जो प्रेस दीर्घा कभी हमेशा भरा रहता था, बीते बजट सत्र में खाली पड़ा रहा। हालांकि ऐसा नहीं था कि मीडिया वाले बजट सत्र को कवर करने नहीं पहुंचे थे। बल्कि सच तो यह था कि पहले से ज्यादा की संख्या में कवर करने पहुंचे थे। फिर उनके लिए आरक्षित रहने वाली प्रेस दीर्घा उनकी बाट क्यों जोहता रहा। एक विधायक के इस अचरजपूर्ण सवाल पर ड्यूटी पर लगे पुलिस वाले ने सटीक जवाब दिया।

पता चला कि प्रेस दीर्घा में जाने से पहले कोरोना जांच कराने का अनिवार्यता थी। सो ज्यादातर प्रेस वालों ने कन्नी काट ली। वे विधानसभा परिसर में तो पहुंचे, टीवी सक्रीन के जरिए अपनी खबरें भी की लेकिन प्रेस दीर्घा से दूरी बनाई रखी। कुछ पत्रकार जरूर कोरोना जांच कराकर प्रेस दीर्घा में जाने का पास बनवाया और वहां जाकर सत्र की आंखो देखी कार्यवाही के गवाह बने।

भूले बिसरे दिन

एक समय था जब दिल्ली में सिर्फ एक महापौर हुआ करते थे। क्या रौनक और जलवा था उनका। कहीं जाते तो लाव लश्कर जुटता था। लेकिन अब तो राजधानी में तीन महापौर हैं। हालांकि शहर के प्रथम नागरिक का दर्जा अभी भी प्राप्त है लेकिन अब वो पहले जैसी बात नहीं रही। शायद भूले बिसरे दिन याद करते हुए एक निगम के प्रथम नागरिक अपने कोरोना टीका लगाने के कार्यक्रम को काफी भुनाना चाहते हैं।

उसके लिए उन्होंने बकायदा एक अग्रिम सूचना देते हुए विज्ञप्ति जारी की है। कार्यक्रम में कोई कमी न रह जाए इसलिए एक फिल्मी सितारे को भी साथ में ले लिया है। बेदिल किसी से पूछ बैठा कि टीका कार्यक्रम में सितारे को ले जाने की क्या जरूरत तो पता चला कि भले ही मीडिया प्रथम नागरिक को कवर न करे लेकिन सितारे को तो तवज्जों देने जरूर आएगा। लगे हाथ प्रथम नागरिक का प्रचार हो जाएगा।

-बेदिल