मनोज मिश्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान की जनसभा में दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए एजंडा तय कर दिया। भाजपा के नेता तिकोना चुनाव होने पर पार्टी को फायदा होने की उम्मीद में चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस होने के दावे कर रहे थे। मोदी ने बिना नाम लिए आम आदमी पार्टी (आप) और उसके नेता अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला करके साफ कर दिया कि भाजपा का मुकाबला सीधे आप से है। इसका लाभ भाजपा के बजाए आप को होने वाला है। मोदी ने दिल्ली की बुनियादी समस्याओं मसलन बिजली, पानी, गरीबों के मकान और भ्रष्टाचार अपना पक्ष रखा लेकिन सीधे तौर पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की। आप पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा करने का दबाव बना रहा था। मोदी ने इतना जरूर कहा कि दिल्ली को हरियाणा से पानी के लिए चल रहा विवाद खत्म होगा और 2022 तक दिल्ली के हर झुग्गी वाले को अपना घर मिल जाएगा। बिजली की दरें कम करने के बजाय उन्होंने मोबाइल फोन की तरह अपनी मर्जी की कंपनी से बिजली लेने की सुविधा देने और दिल्ली को 24 घंटे बिजली देकर दिल्ली को जेनरेटरों से मुक्त बनाने की घोषणा की ताकि दिल्ली में प्रदूषण कम हो सके।
भाजपा की यह जनसभा चार राज्यों-महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भाजपा की जीत के नाम पर आयोजित की गई थी। लेकिन इस जनसभा को दिल्ली विधानसभा के लिए भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार का आगाज माना जा रहा है। माना जा रहा था कि आप और उसके नेता केजरीवाल पर हमला दिल्ली भाजपा के नेता करेंगे। दिल्ली के नेताओं ने तो आप के खिलाफ भाषण किया ही, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का आधा भाषण आप के खिलाफ हुआ। सबसे आश्चर्य लगा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत राष्ट्रीय मुद्दों से की। खुद को वादे पूरा करने वाला और ईमानदार नेता होने की दुहाई दी। बताया कि किस तरह से प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 11 करोड़ खाते खुल गए हैं जिसमें केवल दिल्ली में साढ़े उन्नीस लाख खाते खुले हैं। दावा किया कि अगर शीर्ष पर बैठा व्यक्ति ईमानदार होगा तो भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है और वे पिछले सात महीने से इस काम को अंजाम देने में लगे हुए हैं। उनके भाषण से पहले केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने दिल्ली के लिए केंद्र सरकार की घोषनाओं की जानकारी दी जिसमें करीब दो हजार अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने की घोषणा, रिहायशी इलाकों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों में तोड़-फोड़ से रोक से लेकर ई-रिक्शा को नियमों के तहत चलाने की अनुमति आदि शामिल हैं।
वैसे यह तो तय सा था कि इस तरह की जनसभा में दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने जैसी घोषणा नहीं की जाएगी लेकिन उम्मीद थी कि नगर निगमों का एकीकरण कर फिर से एक निगम बनाने की घोषणा हो सकती है। कांग्रेस के शासन में नगर निगमों को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। चुनाव की घोषणा लगातार टलने से लगता है कि भाजपा चुनाव में जीत के बारे में उसी तरह आश्वस्त नहीं है जिस तरह से लोकसभा चुनाव में सातों सीटें जीतने के बाद बहुमत का जुगाड़ हो जाने के बावजूद दिल्ली में सरकार बनाने का मुद्दा महीनों टलता रहा और आखिरकार चार नवंबर को दिल्ली विधानसभा भंग करनी पड़ी। दिल्ली का इतिहास रहा है कि भाजपा को तीसरी मजबूत पार्टी का लाभ मिलता रहा। यही 2013 के विधानसभा चुनाव में दिखा जब भाजपा करीब 34 फीसद वोट लाकर नंबर एक पार्टी बनी। उसे 32 सीटें मिलीं यानी अगर उसे दो-तीन फीसद वोट ही मिल जाते तो उसे 70 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत मिल जाता। उस चुनाव में आप को 29.50 फीसद वोट और 28 सीटें और कांग्रेस को 24.50 फीसद वोट और आठ सीटें मिली थी। लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के बजाए आप को मिल गए तो कांग्रेस के वोट घटकर 15 फीसद पर आ गए। मोदी की आंधी में भाजपा को 46 फीसद वोट मिले और इसीलिए आप के वोट तीन फीसद बढ़ने के बावजूद उसे कोई सीट नहीं मिली।
पिछले कई चुनावों में लगातार सीधा मुकाबला होने से भाजपा के बजाय लगातार तीन बार कांग्रेस चुनाव जीती। नगर निगम में भाजपा को वोट उनके औसत 37 फीसद ही आए लेकिन गैर भाजपा वोट अन्य दलों में बंटने से भाजपा की जीत होती रही। इस बार चुनाव में तीनों दल की प्रतिष्ठा दांव पर लगने वाली है। देश भर में जीत हासिल करने वाले नरेंद्र मोदी दिल्ली न जीत पाएं तो उनकी फजीहत होगी। कांग्रेस अगर लोकसभा से भी नीचे चली गई तो उसके लिए दिल्ली स्थायी रूप से दूर हो जाएगी। आप ने तो दिल्ली जीतने के लिए बाकी राज्यों से मुंह ही फेर लिया है। वे पूरी ताकत से दिल्ली में लगे हुए हैं। उन्हें पता है कि अगर कांग्रेस को पिछले विधानसभा जितने या उससे ज्यादा वोट मिल गए तो भी वह चुनाव नहीं जीत सकती और फिर दिल्ली भी उनसे स्थायी रूप से दूर हो जाएगी। इसी के चलते वे लगातार यही दुहरा रहे हैं कि कांग्रेस को वोट देना अपने वोट बर्बाद करना होगा। भाजपा के नेताओं को यह पता है कि आप या कांग्रेस से सीधा मुकाबला होने से भाजपा को नुकसान होगा इसलिए वे रणनीति के तहत आप के आरोपों का सीधा जबाब नहीं देते थे। बाद में आप के चुनाव प्रचार में तेजी आने से मजबूरन भाजपा नेता जवाब देने लगे। जिस तरह से शनिवार की जनसभा में भाजपा अध्यक्ष या खुद प्रधानमंत्री आप पर सीधा हमला कर रहे थे और आप नेता केजरीवाल को अराजकतावादी और झूठ बोलने वाला बता रहे थे, उससे यह तो साफ हो गया कि चुनाव में भाजपा के मुख्य निशाने पर आप ही रहेगी।
भाजपा की इस जनसभा की लंबे समय से प्रतीक्षा हो रही थी। कहा यह भी जा रहा था कि यह सभा दिल्ली वालों का मूड भांपने के लिए होने वाली है। प्रधानमंत्री ने अपने स्वभाव के अनुरूप लोगों से संवाद किया और भीड़ उनको सुनने के लिए उत्साहित थी। इतना ही नहीं उनकी अन्य सभाओं की तरह लोगों ने उनसे सीधा संवाद भी किया। प्रधानमंत्री दिल्ली भाजपा के लोगों के लिए भी चुनाव प्रचार के लिए एक लाइन देने में कामयाब रहे और इस सभा के बाद से आप की ही तरह भाजपा भी चुनाव मैदान में आ गई है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि कांग्रेस अपना चुनाव अभियान कितना उठा पाती है।