समाजवादी पार्टी की स्थापना के 25 साल पूरे होने के मौके लखनऊ में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम की योजना है। जश्न के लिए अन्य पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित करने के लिए शिवपाल यादव इन दिनों दिल्ली में हैं। वे राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह और जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव से मिले और उन्हें जश्न में शरीक होने का निमंत्रण दिया। अंदरखाने चल रही चर्चाओंं की मानें तो शिवपाल यहां पर ‘महागठबंधन’ की संभावनाएं तलाशने आए हैं। एक दिन पहले ही शिवपाल ने ”लोहिया, चौधरी चरण सिंह और गांधी के अनुयायियों को एक साथ आकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने’ का न्योता दिया था। माना जा रहा है कि वह उसी रास्ते पर चलेंगे, जिस पर चलकर पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार ने जीत हासिल की। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बिहार गठबंधन से हाथ खींच लिए थे, इसे उनकी राजनैतिक गलती बताया जाता है। हालांकि शिवपाल ने इसके लिए राम गोपाल यादव को जिम्मेदार ठहराया है, जिन्हें हाल ही में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। शिवपाल ने बुधवार को कहा था कि वह बिहार में उस गठबंधन के लिए पार्टियों को साथ लेकर आए, लेकिन राम गोपाल यादव ने किए-कराए पर पानी फेर दिया। जिसके बाद, जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के लालू यादव और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव जड़ा और बड़ी जीत दर्ज की।
आखिर कौन है समाजवादी पार्टी की कलह के पीछे, देखें वीडियो:
समाजवादी पार्टी गहरे पारिवारिक संकट के दाैर से गुजार रही है, जिसके चलते यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पिता मुलायम सिंह यादव अलग-अलग छोर पर खड़े हैं। मुलायम सिंह अब एक गठबंधन पर जोर दे रहे हैं, जिससे उनकी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में पिछड़ी और अल्पसंख्यकों के वोट मिल सकें। भाजपा और मायावती की बसपा को टक्कर देने के लिए मुलायम ने कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, आरएलडी व अन्य छोटे दलों को साथ लाने की याेजना बनाई है।
चाचा शिवपाल से मतभेद को लेकर नाराज चल रहे अखिलेश ने पार्टी छोड़ने की संभावना से साफ इनकार किया है, लेकिन एक बात साफ है कि वह यूपी चुनावों में अकेले जाना पसंद करेंगे। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बुधवार को शिवपाल अजीत सिंह से मिले। सिंह समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव-पूर्ण गठबंधन के लिए राजी नजर आ रहे हैं, मगर वह एक ‘महागठबंधन’ को ज्यादा प्रभावी समझते हैं।