विश्व तपेदिक दिवस से पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने तपेदिक (टीबी) के मरीजों को राहत देने के लिए नई दवा जारी की। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि केंद्र ने टीबी से मुकाबले के लिए नई पहल की है। इसमें जांच की नई व त्वरित सुविधा भी शामिल है।
नड्डा ने टीबी की नई दवा बीडाक्विलिन का शुभारंभ किया। यह दवा एमडीआर-टीबी के इलाज के लिए नई तपेदिक रोधी दवा है। दवा का यह नया वर्ग डायरिलक्विनोलिन है जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और अन्य माइक्रोबैक्टीरिया को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए जरूरी एंजाइम, माइक्रोबैक्टीरियल एटीपी सिंथेज को विशेष रूप से निशाना बनाती है। बीडाक्विलिन का इस्तेमाल देश भर में छह विशेष तृतीयक देखभाल केंद्रों (टर्शरी केयर सेंटर) में शुरू किया जा रहा है। इन केंद्रों में प्रयोगशाला परीक्षण और रोगियों के गहन देखभाल के लिए उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं।
नड्डा ने कार्यक्रम के दौरान 500 से अधिक कारट्रिज आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लिफिकेशन टेस्ट (सीबीएनएएटी) मशीनों का भी शुभारंभ किया। यह परीक्षण पूरी तरह से स्वचालित है और इसके नतीजे दो घंटे के भीतर मिल जाते हैं। यह एक बेहद संवेदनशील जांच उपकरण है और इसे परिष्कृत बुनियादी ढांचे या विशेष प्रशिक्षण के बगैर ही दूरदराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी इंडिया 2016 की सालाना रिपोर्ट और भारत में टीबी के नियंत्रण के लिए नए दिशानिर्देश 2016 का भी लोकार्पण किया। इस व्यापक दिशानिर्देश में सभी प्रकार के टीबी के प्रबंधन और इसके उग्र मामलों के लिए रणनीतियां, एचआइवी और टीबी से पीड़ित मरीजों के लिए एक ही स्थान पर देखभाल के लिए रणनीतियां भी दी हुई हैं। आयोजन के दौरान टीबी के ब्रांड अंबेसडर अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ एक नया रेडियो अभियान और सोशल मीडिया अभियान भी शुरू किया गया।
मंत्री ने एचआइवी से ग्रस्त लोगों के लिए तीसरी कतार के एआरटी कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया। इस बीमारी की दवा का खर्च प्रति रोगी करीब 1.18 लाख रुपए सालाना आता है। इन्हें नि:शुल्क उपलब्ध कराकर न केवल जीवन सुरक्षित हो सकेगा, बल्कि रोगियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में भी सुधार आयेगा। इस पहल से भारत के एआरटी कार्यक्रम को विकसित देशों के कार्यक्रमों की बराबरी पर लाने में मदद मिलेगी।