17वीं लोकसभा में सदन के कामकाज के पहले हफ्ते में स्पीकर ओम बिरला ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। उन्होंने कामकाज के पहले हफ्ते में ही पहली बार चुने गए 93 सांसदों को कम से कम एक बार सदन में बोलने का मौका दिया। सांसदों को अपनी बात रखने का यह मौका जीरो आवर में मिला। पिछली लोकसभा की बात करें तो पहले पूरे सत्र में महज 60 सदस्यों को ही बोलने का मौका मिला था। 2014 में पहली बार सांसद चुने जाने के बाद खुद बिरला को एक साल तक अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला था। ऐसा लगता है कि वह ऐसा नहीं चाहते कि इस लोकसभा में पहली बार निर्वाचित 250 से ज्यादा सांसदों को उनके जैसा अनुभव हो। बता दें कि राजस्थान के कोटा से चुने गए 57 वर्षीय बिरला निर्विरोध लोकसभा स्पीकर चुने गए थे। लोकसभा स्पीकर और सांसद की जिम्मेदार निभाने से पहले वह राज्य की विधानसभा में भी बतौर विधायक अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद बिरला की तारीफ करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बिरला बेहद धीमे बोलते हैं और उन्हें शंका है कि कहीं सांसद उनकी विनम्रता का दुरुपयोग न कर लें। पीएम ने बताया था कि बिरला हमेशा से गरीबों के लिए काम करते रहे हैं। मीडिया में आई विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिरला सामाजिक संगठनों के जरिए विकलांगों, कैंसर रोगियों आदि की मदद कर चुके हैं। उन्होंने कोटा में करीब एक लाख पेड़ लगाने के लिए ‘ग्रीन कोटा वन अभियान’ शुरू किया था। बिरला ने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं और आदिवासी समाज के लिए भी काम किया।

बता दें कि बिरला ने अपने राजनीतिक करियर का बड़ा हिस्सा छात्र राजनीति को दिया। वह बीजेपी के स्टूडेंट विंग एबीवीपी में कई पदों पर रहे। उन्होंने पहला चुनाव 17 साल की उम्र में जीता था। वह कोटा में स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट चुने गए थे। बिरला को पहला मौका उस वक्त मिला, जब राज्य के तत्कालीन दिग्गज नेताओं की पार्टी पर पकड़ कमजोर हुई। उस वक्त की सीएम प्रत्याशी वसुंधरा राजे को ऐसे नेताओं की तलाश थी, जो स्थापित नेताओं के प्रभाव में न रहे हों। हालांकि, बिरला को पहली बार विधायक का टिकट मिलने में काफी वक्त लग गया था। जब राजे 2013 में राजस्थान की सत्ता में लौटीं तो बिरला ने पहली बार 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा।