संसद का एक महीने लंबा शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरू होगा। मगर सत्र शुरू होने से पहले ही यहां संसद भवन और परिसर के आसपास बंदरों ने आतंक मचा रखा है। इसलिए सुरक्षा के लिहाज से लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें लोगों को सलाह दी गई है कि वो बंदरों से नजरें ना मिलाएं और ना ही उनकी तरफ देखें। सर्कुलर में यह भी कहा गया कि कोई भी बंदर और उसके बच्चे के बीच में आकर सड़क पार नहीं करे। बता दें कि संसद भवन परिसर और इसके आसपास की इमारतों के अलावा, राष्ट्रपति भवन, नोर्थ और साउथ ब्लॉक पर बंदरों के हमले का खतरा बना रहता है। किसी संस्था के पास आधिकारिक डेटा भी नहीं है कि दिल्ली में बंदरों की कुल संख्या कितनी है। हालांकि दिल्ली में हजारों की तादाद में ऐसे बंदर हैं जो घरों में तोड़फोड़ करते हैं, लोगों को आतंकित करते हैं और उनकी खाद्य सामग्री चुराकर फरार हो जाते हैं। मोटे तौर सिविक बॉडी का अनुमान है कि दिल्ली में करीब तीस से चालीस हजार बंदर हैं। इसमें बहुत से बंदरों को लोग मंगलवार और शनिवार को भोजन खिलाते हैं। भगवान हनुमान के भक्तों के लिए यह दिन खासा महत्व रखता है। इन दो दिनों में बंदरों को खाद्य सामग्री देने का मतलब है कि दूसरे दिनों में भी लोगों द्वारा खाद्य सामग्री ले जाने पर बंदरों के काटने का खतरा बना रहता है। खबरों के मुताबिक करीब 90 फीसदी बंदरों में टूबरक्लोसिस होता है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, ‘अगर बंदर आपके वाहन से टकराए (खासतौर पर दुपहिया वाहन) तो वहां रुके नहीं। बंदर खो-खो जैसी आवाज निकाले तो बिल्कुल घबराए नहीं। बंदर को इग्नोर करें और आगे निकल जाएं। जब बंदरों के पास से गुजरें तो हल्के पैरों से चलें। भागे नहीं। उन्हें परेशान या तंग नहीं करें। उन्हें अकेला छोड़ देंगे तो वो आपको अकेला छोड़ देंगे।’ सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि बंदरों को मारने नहीं चाहिए। हालांकि घर और गार्डन से बंदरों को भगाने के लिए जमीन पर छड़ें को मारकर उन्हें भगाएं। बता दें कि कुछ साल पहले एमसीडी ने लुटियंस जोन से बंदरों को स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी। मगर यह योजना पूरी तरह नाकाम रही थी। इसके अलावा स्थानीय लोगों ने भी जबरन बंदरों को स्थानांतरित करने पर आपत्ति जताई थी।गौरतलब है शीतकालीन सत्र जिस दिन शुरू होगा उसी दिन पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए पड़े मतों की गिनती भी शुरू होगी।
अगले लोकसभा चुनावों से पूर्व नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का यह अंतिम पूर्ण संसदीय सत्र होगा। विधानसभा चुनावों के परिणामों की छाया संसदीय कार्यवाही पर दिखाई देगी। इन चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों के परिणाम 11 दिसम्बर को आएंगे। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने इस बात की पुष्टि की है कि सत्र 11 दिसम्बर से लेकर 8 जनवरी तक चलेगा और इसमें 20 कार्य दिवस होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ हम सभी दलों का सहयोग और समर्थन चाहते हैं ताकि सत्र के दौरान संसद का संचालन सुचारू ढंग से हो सके।’’ सरकार राज्यसभा में लंबित चल रहे तीन तलाक विधेयक को पारित कराने का प्रयास करेगी। एक ही बार में तीन तलाक बोलने को अपराध घोषित करने के लिए अध्यादेश लाया गया था।