उपराज्यपाल नजीब जंग ने केजरीवाल सरकार द्वारा पिछले डेढ़ साल में लिए गए फैसलों की समीक्षा का फैसला लिया है। सूत्रों के अनुसार उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से उन फैसलों से संबंधित फाइलों को तलब किया है जिन पर उनकी सहमति वैधानिक रूप से जरूरी थी, लेकिन ली नहीं गई। सूत्रों की मानें तो उपराज्यपाल के सचिव ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुखों को इस संबंध में लिखित आदेश जारी किया है। चार अगस्त को एक अहम फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और आप सरकार की इस दलील के पीछे कोई आधार नहीं है कि वो मंत्री परिषद की सलाह पर काम करने को बाध्य हैं। हालांकि, आप सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है, लेकिन उपराज्यपाल नजीब जंग अपने प्रशासनिक अधिकारों के प्रयोग के लिए कवायद शुरू कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक नजीब जंग ने सोमवार को दिल्ली सरकार के सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश जारी किया है कि वे सभी फैसलों की समीक्षा करें और उन फाइलों की पहचान करें जिसके लिए वैधानिक रूप से उपराज्यपाल की मंजूरी लिया जाना जरूरी था लेकिन आप सरकार ने मंजूरी नहीं ली। सूत्रों की मानें तो यह काम 17 अगस्त तक पूरा कर लेना है और पहचान किए गए सभी वैसे मामलों को उपयुक्त माध्यम से एलजी के समक्ष रखना है।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद नजीब जंग ने अपने संवाददाता सम्मेलन में प्रमुखता से उल्लेख किया था कि दिल्ली सरकार को अपने कई फैसले अब सुधारने पड़ेंगे, जिनमें बिजली नियामक डीईआरसी को दिए गए निर्देश, बीएसईएस बोर्ड में सरकारी प्रतिनिधियों की नियुक्ति, डीडीसीए मामले में जांच आयोग का गठन, स्टैम्प ड्यूटी, सर्कल रेट अधिसूचना और अन्य आदेश शामिल हैं। सरकार ने ये आदेश जारी करने से पहले उपराज्यपाल की सहमति नहीं ली थी। उपराज्यपाल ने कहा था कि फैसले से साफ हो गया है कि सेवाओं से जुड़े विषयों को उपराज्यपाल देखेंगे और उन मुद्दों पर जहां केंद्र की सहमति की जरूरत नहीं है, खुद फैसला ले सकते हैं।
उपराज्यपाल ने हालांकि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को हमेशा साथ देने की बात कही थी, लेकिन इसके साथ ही वे अपनी संवैधानिक स्थिति को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे।
कोर्ट के इस फैसले के बावजूद उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार की रस्साकशी खत्म होती नहीं दिखती, बल्कि कई और तल्ख मोड़ आने के आसार हैं। एक तरफ जहां केजरीवाल सरकार फैसले के खिलाफ इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट जा सकती है, वहीं दूसरी तरफ उपराज्यपाल अपनी प्रशासनिक सक्रियता बढ़ा चुके हैं। राजनिवास और दिल्ली सचिवालय का आपसी तालमेल अरविंद केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद से ही बिगड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत शकुतला गैमलिन के मुद्दे के साथ हुई और इसका अंत अभी फिलहाल नहीं दिख रहा। कोर्ट के फैसले के बाद उपराज्यपाल की ओर से उठाए गए इस कदम के बीच मुख्यमंत्री फिलहाल धर्मशाला में विपश्यना कर रहे हैं।