अफ्रीकी महिलाओं के साथ कथित छेड़खानी के मामले में पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती को पुलिस अधिकारियों ने फंसाया या नहीं, इस बाबत फैसला अदालत बुधवार को करेगी। अदालत ने तय किया कि वह आप नेता सोमनाथ भारती की उस याचिका पर 30 सितंबर को सुनवाई करेगी जिसमें पिछले साल आधी रात को उनकी ओर से कथित रूप से मारे गए छापे के दौरान कुछ अफ्रीकी महिलाओं के साथ कथित छेड़खानी के मामले में उन्हें फंसाने को लेकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
यह मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भूपेश कुमार की अदालत में सूचीबद्ध किया गया था लेकिन उनके अवकाश पर होने की वजह से उस पर सुनवाई नहीं हो सकी। भारती ने मजिस्ट्रेट की अदालत से अपने आवेदन खारिज हो जाने के विरुद्ध सत्र अदालत में दो पुनरीक्षण याचिकाएं दायर की हैं। भारती ने इन आवेदन में पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने व इस मामले की और जांच करने की मांग की है। सनद रहे कि गुरुवार को ही दिल्ली सरकार ने इस मामले में भारती की कथित संलिप्तता को लेकर मुकदमा चलाने की भी मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने जनवरी 2014 में खिड़की एक्सटेंशन इलाके में छापेमारी में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर मुकदमा चलाने की उपराज्यपाल नजीब जंग की मंजूरी को अधिसूचित कर दिया है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इस मामले में फंसाने के आरोप में अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भारती की मांग 10 नवंबर को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि केंद्र या राज्य सरकार की मंजूरी के बगैर अपराध का कोई संज्ञान नहीं लिया जा सकता। अदालत ने कहा था कि अनुचित या पक्षपातपूर्ण जांच के किसी भी आरोप को जांच अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से अलग नहीं किया जा सकता। अतएव सीआरपीसी की धारा 197 के तहत जनसेवक की सुरक्षा लागू होती है। हाल के घटनाक्रम में दिल्ली सरकार ने जनवरी, 2014 को खिड़की एक्सटेंशन इलाके में छापे में कथित संलिप्तता को लेकर भारती पर मुकदमा चलाने की 24 सितंबर को मंजूरी दी। जनवरी, 2014 में भारती आप सरकार में कानून मंत्री थे।
भारती ने सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत दायर जांच की मांग संबंधी अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस ने कथित रूप से अहम तथ्यों, कई गवाहों के बयानों व वीडियो रिकार्डिंग को दबा दिया और जब उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया तब इन बातों का संज्ञान नहीं लिया गया। दिल्ली पुलिस ने भारती और 17 अन्य आरोपियों के विरुद्ध अंतिम रिपोर्ट दर्ज की थी और धारा 354 (महिला का शील भंग करना), धारा 323 (जानबूझकर नुकसान पहुंचाना), धारा 506 (आपराधक धमकी) और 147 (दंगा करना) समेत भादसं की विभिन्न धाराओं के तहत उनके विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया था। पुलिस ने इस मामले में यूगांडा की नौ महिलाओं समेत 14 लोगों को गवाह बनाया है।
पिछले साल 15-16 जनवरी की दरम्यानी रात को भारती की अगुवाई में आई भीड़ ने इन्हीं महिलाओं के साथ कथित रूप से मारपीट की थी। अदालत के निर्देश पर पिछले साल 19 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यूगांडा की पीड़ित महिलाएं अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत पहुंची थीं।