सुशील राघव

लखनऊ के रहने वाले राघवेंद्र सिंह ने इसी साल समाज कार्य से एमए किया है और अब वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से एमफिल करना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनका दाखिला जेएनयू में हो जाएगा। लेकिन विश्वविद्यालय ने इस साल पिछले साल के मुकाबले एमफिल और पीएचडी की कम सीटों पर प्रवेश के लिए सूचना जारी की है। कम सीटों की वजह से राघवेंद्र की जेएनयू में प्रवेश लेने की उम्मीद भी कम हुई है। ऐसा सिर्फ राघवेंद्र के साथ ही नहीं हुआ बल्कि हजारों उन विद्यार्थियों के साथ हुआ है जो जेएनयू में शोध करने के सपने सजाए हुए थे। राघवेंद्र का कहना है कि सीटें कम होने से सीधे-सीधे मेरे प्रवेश लेने की उम्मीद कम हुई है। इसमें मेरा क्या कसूर था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा है। राघवेंद्र ने जेएनयू में एमफिल में प्रवेश के लिए आॅनलाइन आवेदन किया है।  उधर, जेएनयू प्रशासन का कहना है कि हम इस वर्ष एमफिल-पीएचडी में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की मई 2016 में जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक दाखिला दे रहे हैं।

जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार का कहना है कि यूजीसी अधिसूचना के आधार पर ही हमने एमफिल-पीएचडी के लिए दाखिला प्रक्रिया जारी की है। उन्होंने कहा कि छात्रों की ओर से लगाए जा रहे सीट कटौती के आरोप सही नहीं हैं क्योंकि विश्वविद्यालय में शोध विद्यार्थियों की संख्या तय से काफी अधिक है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जेएनयू ने 300 शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की है।इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद खुद ब खुद सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाएगी। आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए जेएनयू ने एमफिल और पीएचडी के लिए 102 सीटों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, जबकि पीएचडी की सिर्फ 64 सीटें और जेआरएफ कोटे से एमफिल और पीएचडी की केवल 28 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे हैं जबकि 2015 में कुल 924 छात्रों को तीनों श्रेणियों में प्रवेश दिया गया था।

क्या है यूजीसी की अधिसूचना 

यूजीसी की ओर से मई 2016 में जारी अधिसूचना के मुताबिक, कोई भी प्रोफेसर एक समय में 3 एमफिल और 8 पीएचडी से ज्यादा शोध विद्यार्थी को गाइड नहीं कर सकते हैं।  इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर ज्यादा से ज्यादा 2 एमफिल व 6 पीएचडी और असिस्टेंट प्रोफेसर एक एमफिल और चार पीएचडी से अधिक शोध विद्यार्थी को गाइड नहीं कर सकते हैं।

हाई कोर्ट का आदेश

हाई कोर्ट का कहना था कि यूजीसी की अधिसूचना सभी विश्वविद्यालयों को मानना अनिवार्य है। ऐसे में जेएनयू भी उसके मुताबिक एमफिल-पीएचडी में प्रवेश के दिशा-निर्देश तय करे।

यहां एक भी सीट नहीं

इतिहास, दर्शनशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, मीडिया स्टडीज, अफ्रीकन स्टडीज, रशियन स्टडीज, अंग्रेजी, उर्दू और हिंदी विषयों में एमफिल-पीएचडी के लिए एक भी सीट में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

विश्वविद्यालय में हड़ताल जारी

एमफिल-पीएचडी की सीटों में कटौती के विरोध में जेएनयू छात्र संघ की ओर से गुरुवार को दूसरे दिन भी छात्रों की हड़ताल जारी है और कक्षाओं का आयोजन नहीं हो रहा है। बुधवार को भी कक्षाओं का बहिष्कार किया गया था। जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सतरूपा चक्रवर्ती का कहना है कि हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

डीयू ने पहले ही अपना लिया था

दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष रमेश भारद्वाज ने बताया कि डीयू ने कई साल पहले ही यूजीसी के इन नियमों को अपना लिया था। इसलिए यहां इस तरह की कोई परेशानी नहीं आने वाली है।