जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) परिसर से लापाता छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी का मामला गुरूवार को ‘कन्हैया प्रकरण’ सरीखे वाला राजनीतिक रंग लेने की ओर बढ़ गया। इस लड़ाई को कैंपस से बाहर लाने का ऐलान वाम धड़े ने गुरुवार शाम कर दिया। कैंपस फिर एक बार ‘लाल’ और ‘भगवा’ में बंट चुका है। इससे पहले कैंपस में बीते 24 घंटे में जो गतिविधियां घटी उसने जेएनयू को एक बार फिर बीच बहस में ला खड़ा कर दिया है। पुलिस मुख्यालय से लेकर गृह मंत्रालय तक जाग उठा।
इस बीच छात्र को खोज निकालने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर जहां वामपंथी धड़े ने गृहमंत्रालय को घेरने का ऐलान किया है वहीं संघ का छात्र ईकाई अखिल भारताय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी)के सचिव ललित पांडे ने यह कह कर मामले को नया मोड़ दिया कि गायब छात्र के कैंपस में छिपाने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष और वाम समर्थित कुछ शिक्षकों की ओर ईशारा करते हुए कहा – ‘अमर और अनिर्वान कहां से अवतरीत हुए थे। वे कैंपस में ही थे और पुलिस को गुमराह किया जा रहा था।’ सनद रहे कि छात्र नजीब अहमद परिसर में झगड़े के बाद शनिवार से लापता है।
आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपने रुख को नरम नहीं किया है और विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार और अन्य को अकादमिक काउसिल की निर्धारित बैठक में हिस्सा लेने के लिए सिर्फ अपने कार्यालय से जाने की अनुमति दी। आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है। बहरहाल, तमाम जद्दोजेहद के बाद गुरुवार शाम जेएनयू के कुलपति करीब 22 घंटे की घेराबंदी से मुक्त कर दिए गए। इस मुद्दे पर कैंपस में वाम पंथी सभी संगठनों ने प्रशासन की कथित निष्क्रियता को लेकर न केवल सवाल खड़े किए थे बल्कि आंदोलनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में बुधवार से ही कुलपति एम जगदीश कुमार और 12 अन्य अधिकारियों को बंधक बना रखा था।
मीडिया के पहुंचने और गृहमंत्री के निर्देश व दिल्ली पुलिस के एसआइटी गठन की घोषणा के बाद छात्रों ने कुलपति को बाहर निकलने दिया। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (20 अक्टूबर) दोपहर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के निर्देश के बाद जेएनयू के लापता छात्र का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया गया है। बता दें कि लापता छात्र के मुद्दे पर छात्रों के प्रदर्शन के छठे दिन में प्रवेश करने के बीच गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह लापता नजीब का पता लगाने के लिए विशेष दल गठित करे, जो जेएनयू के एक हॉस्टल में एबीवीपी समर्थकों के एक समूह के साथ झगड़ा होने के बाद शनिवार (15 अक्टूबर) से लापता है।
इस मामले में दिनभर दिल्ली में गतिविधियां बदलती रही। गृहमंत्री ने संज्ञान लिया व व पुलिस को उनके निर्देश आए। पुलिस ने छात्र का सुराग देने वाले को 50 हजार के ईनाम के साथ पोस्टर लगाने शुरू किए। गृह राज्यमंत्री इस मुद्दे पर बयान दिया। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा-कुलपति और अन्य अधिकारियों को कैद करना गलत है। जेएनयू में कुछ छात्र पढ़ने की बजाय राजनीति करने आए हैं। सारी गतिविधियां कानून के दायरे में होनी चाहिए। उधर कुलपति कुमार ने कहा- ‘हमें इन अवैध तरीकों से बाध्य नहीं किया जा सकता। यह लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाला विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय नजीब अहमद का पता लगाने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। लेकिन वो (आंदोलनकारी) मान नहीं रहे हैं और इस तरह के अवैध साधनों का सहारा ले रहे हैं।’
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) नुपूर प्रसाद ने एसआइटी के गठन की पुष्ठि करते हुए कहा -हमने इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त मनीषी चंद्रा की अगुवाई मे एक विशष जांच दल का गठन किया है। हमने देशभर में विभिन्न संबंधित एसएसपी और पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया है और अखबारों में इश्तहार भी जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने नजीब के लापता होने के बाद चल रही अपहरण की थ्योरी को खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा, हमें कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला है लेकिन एक चश्मदीद ने उसे पार्थसारथी रॉक्स इलाके से जाते हुए देखा। पुलिस ने कुछ दवाएं, लैपटॉप और उसका फोन जब्त किया है जो उसने अपने छात्रावास के कमरे में छोड़ा था।