जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) का अभिन्न हिस्सा बन चुके गंगा ढाबा को अब बंद करने की बात की जा रही है। ढाबा जेएनयू में पिछले 33 सालों से चल रहा है। लेकिन अब जेएनयू प्रशासन का कहना है कि उन्हें उस जगह के लिए नया टेंडर निकालना है इसलिए ढाबे को बंद करना होगा। इसके साथ ही यह भी दलील दी जा रही है कि ढाबा गैरकानूनी तरीके से चलाया जा रहा है। ढाबे के मालिक भरत तोमर और सुशील राठी को ढाबा बंद करने का नोटिस भी दे दिया जा चुका है। इसको लेकर जेएनयू के स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने प्रशासन पर कई तरह के आरोप लगाए हैं।
स्टूडेंट्स का कहना है कि ढाबे को बंद करके प्रशासन कई चीजों को जेएनयू परिसर में बंद करवाना चाहता है। स्टूडेंट्स का कहना है कि प्रशासन सभी को हॉस्टल की मेस में मिलने वाला खाना खाने के लिए बाध्य करना चाहता है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स का कहना है कि प्रशासन स्टूडेंट्स को रात 9 बजे के बाद हॉस्टल में बंद कर देना चाहता है जबकि फिलहाल ज्यादातर स्टूडेंट गंगा ढाबे के आसपास बैठकर पढ़ाई करते हैं और देश-विदेश के मुद्दों पर चर्चा करते हैं। फिलहाल गंगा के साथ-साथ बाकी सभी ढाबे 24 घंटे खुले रहते हैं।
क्या है ढाबे का इतिहास: यह ढाबा शुरू में एक चाय की दुकान थी। उसे 1983 में खोला गया था। वह भरत तोमर के पिता तेजवीर सिंह ने खोली थी। वह चाय की दुकान 1989 में ढाबे में बदल गई। मिली जानकारी के मुताबिक, ढाबे को बंद करने के लिए पहले भी कई बार नोटिस दिया जा चुका है।
प्रशासन ने अपनी सफाई में कहा कि वह बस नया टेंडर लाना चाहते हैं। बताया गया कि फिलहाल के मालिक भी उस टेंडर को भर सकते हैं। गौरतलब हो कि गंगा ढाबा में जेएनयू के बाहर के मुकाबले काफी सस्ता खाना मिलता है।
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