तीन महीने की एक बच्ची के दिल में छेद है। बीते एक महीने को सांस लेने मेंं दिक्कत है। घर वालों को बच्ची की मर्ज जानने में थोड़ी देर हुई। लेकिन अब उसके इलाज में एम्स बहुत देर करना चाहता है। बच्ची की सर्जरी के लिए एम्स की तरफ से महीनों नहीं बल्कि 6 साल इंतजार करने को कहा गया है। एक संस्था की तरफ से पूछे जाने पर जबाव भी नहीं दिया है। बच्ची के माता पिता माली हालत के चलते किसी प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज नहीं करा सकते। हालांकि अब संस्था द्वारा ही बच्ची को निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया है।

दिल्ली से सटे फरीदाबाद में रहने वाले अजय कुमार ने बताया कि उनकी बच्ची नैंसी को कुछ समय से खांसी आ रही थी। जिसे हल्की दिक्कत समझ पास से ही दवाएं करा दी गईं। लेकिन दवाओं का कोई असर नहीं हुआ। खांसी बढ़ती जा रही थी। इसके बाद बच्ची को सफदरजंग अस्पताल में ले जाया गया। जहां उसे भर्ती करा कर 19 दिन इलाज चला। वहीं पर बच्ची के दिल में छेद होने की जानकारी हुई। इसके बाद डॉक्टर ने एम्स ले जाने की सलाह दी।

बच्ची के पिता ने बताया, बच्ची के दिल में छेद के इलाज के बारे में बताया गया कि निजी अस्पताल में चार लाख तक खर्च सभी बता रहे थे। उन्होंने बता कि महंगे इलाज का भार न उठा पाने की वजह से ही बच्ची को एम्स लाकर चिकित्सकों को दिखाया। वहां बच्ची को देख 4 यूनिट ब्लड और करीब 50 हजार रुपए भी डिपोजिट करने को कहा गया। लेकिन इलाज की डेट 6 साल बाद 5 फरवरी 2024 की दी गई। काफी मिन्नतों के बाद भी डॉक्टर नहीं माने।

अब बच्ची को बचाने के लिए हार्ट केयर फाउंडेशन आगे आया है। फाउंडेशन के प्रेसीडेंट डॉ. अग्रवाल ने बच्ची के इलाज के लिए दी गई 6 साल की वेटिंग पर एम्स को पत्र भी लिखा। लेकिन कोई पॉजिटिव जवाब नहीं आया। इस बारे में डॉ. अग्रवाल का कहना है कि, दिल्ली सरकार इसे लेकर नियम बना चुकी है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि, अगर उनके स्वामित्व वाले अस्पताल में इलाज के लिए वेटिंग एक महीने से ज्यादा है तो वह प्राइवेट में इलाज करवाएंगे। लेकिन इस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ।

बच्ची की बिगड़ती सेहत के चलते फाउंडेशन ने उसकी जल्दी सर्जरी के लिए मेदांता से बात की, जहां अस्पताल ने हां कर दी। अब बच्ची का इलाज मेदांता में होगा। इलाज का खर्च समीर मलिक हार्ट केयर फाउंडेशन फंड से होगा।