औपचारिक उद्घाटन के एक दिन पहले भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ‘स्मार्ट निगरानी’ शुरू कर दी गई। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हीरानगर और अखनूर के पास अग्रिम चौकियों को कुल 10 किलोमीटर लंबी स्मार्ट बाड़बंदी की पायलट परियोजना से जोड़ दिया गया। रविवार की शाम छह बजे से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लेजर दीवार, जमीन के भीतर और बाहर लगे सेंसर (जो शरीर या धातु की गर्मी पहचान कर सिग्नल दे रहे हैं), रडार और कैमरे से निगरानी-पांच स्तरीय निगरानी व सुरक्षा इंतजाम को लागू कर दिया गया। अब न तो आतंकी किसी विशेष जैकेट से इन सेंसर को चकमा दे सकेंगे और न तो जमीन के भीतर सुरंग खोदकर सीमा पार कर सकेंगे।
कश्मीर के अलावा राजस्थान, पंजाब और गुजरात से सटी पाकिस्तान की सीमा पर भी स्मार्ट बाड़बंदी की योजना है। इस परियोजना में इस्राइल और स्लोवेनियाई से तकनीकी मदद मिल रही है। हीरानगर और अखनूर के इलाके में स्थित अग्रिम चौकियों के अलावा अन्य जगहों पर भी स्मार्ट बाड़बंदी का काम अंतिम चरण में या लगभग पूरा हो चुका है। सेना के आला अधिकारियों के मुताबिक, आने वाले कुछ महीनों में बेहद संवेदनशील माने जा रहे सरहदी इलाकों पर यह बाड़बंदी पूरी कर दी जाएगी। स्मार्ट बाड़बंदी करने में उन जगहों पर जोर दिया जा रहा है, जहां मौसम की मार से या आतंकियों लारा लोहे की जारी वाले बाड़ काटकर घुसपैठ की घटनाएं अधिक होती हैं। पाकिस्तान से सटी भारत की 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा पर स्मार्ट बाड़बंदी करने की योजना पर काम शुरू किया गया है।
पठानकोट हमले के बाद अप्रैल 2016 में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय ने कमेटी गठित की थी, जिसने सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था में जरूरी बदलाव एंव तकनीकी तौर पर मजबूत बाड़बंदी का सुझाव दिया था। इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय की सहमति मिलने के बाद से काम शुरू किया गया। पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा चार राज्यों- जम्मू कश्मीर (1,225 किमी, नियंत्रण रेखा समेत), राजस्थान (1,037 किमी), पंजाब (553 किमी) और गुजरात (508 किमी) से गुजरती है। सभी इलाकों में स्मार्ट बाड़बंदी पर काम चल रहा है।
स्मार्ट बाड़बंदी के साथ ही सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी काम किया जाएगा। मधुकर कमेटी कमेटी ने कहा था कि स्मार्ट बाड़बंदी से जवानों की मदद तो होगी ही। इसके अलावा भी घुसपैठ के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, जहां 100 जवानों की तैनाती की जरूरत है, वहां पर्याप्त संख्या में जवानों की तैनाती होगी, लेकिन जहां दो जवानों में काम चल जाए वहां जवानों की संख्या को कम किया जाएगा।