Delhi Covid-19: कलामुद्दीन ने दो बार अपने पिता को दफानाया। पहली बार उस शव को दफनाया गया जिसे वो अपने पिता को मान बैठे थे और दूसरी बार में वास्तव में अपने पिता के शव को ही दफनाया। दरअसल ऐसा शव की गलत पहचान की वजह से हुआ चूंकि लोक नायक हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखे दो शवों का नाम एक जैसा ‘मोइनुद्दीन’ था।

मृतकों में से एक शव कलामुद्दीन के पिता का था और दूसरा शव एजाजुद्दीन के बड़े भाई का था। मामले में हॉस्पिटल के एक अधिकारी ने बताया कि शव की पहचान कभी-कभी मुश्किल होती है क्योंकि मोर्चरी में लोग अक्सर चिंतित रहते हैं और मौत के बाद चेहरा बदल भी जाता है, जो शव की पहचान को मुश्किल बनाता है। हालांकि हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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रविवार को यह पता लगाने से पहले कि उनके भाई को एक दिन पहले दिल्ली गेट पर एक अन्य परिवार द्वारा दफना दिया गया, एजाजुद्दीन ने मोर्चरी में लगभग 250 शव देखे थे। उन्होंने कहा कि मैंने बड़े भाई के शव को ले जाने वाले शख्स को फोन किया और उससे उनके चेहरे की तस्वीर भेजने को कहा। वो स्पष्ट रूप से मेरे भाई थे।

दरअसल ये घटना इसलिए घटी क्योंकि गुरुवार को कलामुद्दीन को मोर्चरी में दिखाए गए शव को पहचानना मुश्किल था, मगर परिवार द्वारा दिए गए दस्तावेज में इसकी सही जानकारी थी। मामले में कलामुद्दीन का पक्ष नहीं जाना जा सका है, हालांकि उनकी पत्नी ने कहा, ‘जो शव मेरे पति ने देखा था, उनका चेहरा सूजा हुआ था और खून लगा था, जिसके चलते यह पता लगाना मुश्किल था कि वो मेरे ससुर का शव था। हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने कहा कि यह डायलिसिस पाइप को हटाने के कारण हुआ था। मेरे शौहर को इसकी शंका भी थी मगर उन्हें दी गई रिपोर्ट सही पता और नाम था इसलिए उन्होंने इस पर विश्वास किया।

कलामुद्दीन की पत्नी ने कहा कि मेरे ससुर का पटपड़गंज के एक हॉस्पिटल में डायलिसिस चल रहा था। यहीं हमारा परिवार रहता है। चार जून को कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए उन्हें लोक नायक हॉस्पिटल रेफर किया गया और उस रात किडनी फेल होने की वजह से उनकी मौत हो गई।

इधर एजाजुद्दीन ने कहा कि ब्लड प्रेशर काफी कम होने के बाद उनके भाई को दो जून को हॉस्पिटल में लाया गया और ईसीजी टेस्टिंग के दौरान उनकी मौत हो गई। जब दो दिन बाद रिपोर्ट आई तो उनके भाई को कोरोना की पुष्टि हुई। पांच जून को एजाजुद्दीन शव लेने के लिए मुर्दाघर पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘हॉस्पिटल स्टाफ ने गलत रिपोर्ट दी और गलत शव दिखाया। रिपोर्ट में लिखा था कि मोईनुद्दीन, पिता रहीमुद्दीन, उम्र करीब 70 वर्ष। जबकि मेरे भाई के पिता का नाम अमीरुद्दीन है, जिनकी उम्र करीब पचास साल है।’