महानगर में निर्माण सामग्री या ध्वस्त भवन के मलबे को ढोने वाले वाहन अगर प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करते पाए गए तो उन पर पांच हजार रुपए तक का जुर्माना होगा। पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि यातायात के अधिकारी जिन्हें मालूम नहीं कि इस सिलसिले में जुर्माना लगाने का आवश्यक अधिकार उनके पास है अथवा नहीं उनसे महानगर की सरकार ने कहा है कि एनजीटी के आदेश के तहत वे ऐसा कर सकते हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अब तक यातायात अधिकारी मोटर वाहन अधिनियम के तहत उल्लंघन करने वाले वाहनों को दो हजार रुपए तक जुर्माना कर सकते थे। अब जुर्माना पांच हजार रुपए तक होगा और वे राष्ट्रीय हरित अधिकरण के संबंधित आदेश पर यह कार्रवाई कर सकते हैं’।

अधिकारी ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पिछले हफ्ते यातायात अधिकारियों को पत्र लिखा था और उन्होंने आदेश लागू करने पर सहमति जताई है। एक अन्य पत्र में महानगर के पर्यावरण सचिव ने यातायात अधिकारियों से कहा था कि वे इकट्ठा किए गए जुर्माने को तब तक डीपीसीसी के पास जमा करा सकते हैं जब तक उनकी खुद की व्यवस्था ना हो जाए। अधिकारी ने कहा, ‘धन को पर्यावरण को सुधारने में खर्च किया जाना है।

इसे किसी अन्य मद में खर्च नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए खुले में कचरा जलाने वालों से इकट्ठा की गई जुर्माने की राशि एसमीडी के पास रहती है। उनकी अपनी व्यवस्था हैं’। एनजीटी के आदेशों के मुताबिक, सभी निर्माण सामग्री या ध्वस्त मकानों के मलबे को ऐसे ट्रक या वाहनों में ढोया जाएगा जो ढंके हुए हैं और इन वाहनों को सड़क पर चलने से पहले अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए। आइआइटी कानपुर ने अपने अध्ययन में दिल्ली के खतरनाक वायु गुणवत्ता के लिए ट्रक और सड़क की धूल को सबसे बड़ा प्रदूषक बताया है।