रोड रेज की एक घटना में मारे गये एक चालक के परिजन को एक करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर देने की मांग को लेकर डीटीसी के कर्मचारियों की आज लगातार दूसरे दिन हड़ताल के कारण पूरे शहर में बस सेवाएं प्रभावित रहीं।

हड़ताल के कारण लाखों यात्रियों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन सेवा की सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए दिल्ली सरकार ने हड़ताल करने वाले कर्मियों के खिलाफ आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लागू कर दिया है और उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा है।

हालांकि, डीटीसी ने दावा किया है कि दक्षिण और पूर्वी दिल्ली में सेवाएं सामान्य हैं और 2,000 से अधिक बसें सड़कों पर चल रही हैं और धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, ‘‘जनता को असुविधा नहीं होने दी जाएगी। यह हड़ताल राजनीति से प्रेरित है। हड़ताली कर्मचारियों को वापस आने और अपना काम फिर से शुरू करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और एम्सा लगा दिया गया है।’’

डीटीसी बसों के न चलने से पूरे शहर में लोगों को होने वाली परेशानी के कारण सरकार ने यह कार्रवाई की हैं।

डीटीसी के चालक, अशोक कुमार (42) के परिजनों को एक करोड़ रूपया मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं जिनकी रविवार को पश्चिम दिल्ली के मुंडका इलाके में एक युवक ने कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। यह हत्या बस से युवक के मोटरसाइकिल में टक्कर लगने के बाद हुयी।

मृतक के भाई सत्य नारायण ने डीटीसी चालकों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग करते हुये कहा कि अब हड़ताल नहीं लेकिन शोक-सभा है। हम लोग तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे जब तक सरकार हमारी मांग को नहीं मान लेती।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को एक करोड़ रुपया मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए। अशोक की नौकरी 18 साल शेष थी, ऐसे में सरकार को उनके 18 साल तक का पूरा वेतन देना चाहिए।’’

डीटीसी के चालकों के साथ मृतक चालक के परिवार के सदस्यों ने रोहिणी बस डिपो में प्रदर्शन किया और दिन में उनके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने की संभावना है।

रविवार को परिवहन मंत्री गोपाल राय ने मृतक के परिजन को पांच लाख रुपया और परिवार के एक सदस्य को परिवहन विभाग में स्थायी नौकरी देने की घोषणा की थी।

सरकार ने मृतक की पत्नी की सभी चिकित्सा खर्च वहन करने का भी निर्णय लिया है। यह भी कहा है कि चालक की बेटी की पढ़ाई का खर्च भी वहन किया जाएगा।

इससे पहले सोमवार को डीटीसी बस के एक चालक की हत्या को लेकर हुई हड़ताल पर रार बढ़ गई है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह हड़ताल के आगे झुकने नहीं जा रही है। सरकार ने एक तरफ डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल को गैर कानूनी घोषित कर एस्मा लगा दिया है, वहीं दूसरी तरफ पांच लाख रुपए मुआवजा के साथ मृतक चालक की बेटी की पढ़ाई और उसकी पत्नी के इलाज का खर्च को खुद उठाने का एलान किया है। हड़ताली कर्मचारियों ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की मांग की है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘एस्मा के प्रावधान के तहत अगर कर्मचारी काम पर नहीं लौटते तो हड़ताली कर्मचारियों की सेवाओं को निरस्त कर दिया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी सरकारी काम को बाधित करता है तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है।’ डीटीसी यूनियन ने धमकी दी है कि अगर मांग नहीं मानी गई तो वे हड़ताल जारी रखेंगे। दूसरी तरफ डीटीसी ने कहा है कि वह सुनिश्चित करेगी कि बसों का सुचारू रूप से परिचालन हो।

सरकारी परिवहन के कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण सोमवार को यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पूरे राष्ट्रीय राजधानी में बस डिपो और बस स्टैंडों पर बेबस यात्रियों की भीड़ देखी गई और दिल्ली मेट्रो और आॅटो रिक्शा पर भारी दबाव रहा। ज्यादातर लोग बस स्टैंडों से लौट गए। जिनकी मजबूरी थी उनसे आटो वाले चांदी काटते नजर आए। मेट्रो रूट पर थोड़ी राहत दिखी।

पश्चिम दिल्ली के मुंडका इलाके में एक युवक ने रविवार को डीटीसी के एक बस चालक आशोक कुमार (42)की दिन-दहाड़े कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी। बस के मोटरसाइकिल में टक्कर मार दिए जाने के बाद यह घटना हुई। इस बीच दिल्ली पुलिस ने वारदात में कथित तौर पर शामिल आरोपी की मां को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं प्रदेश भाजपा ने पार्टी की ओर से पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए की मदद देने का एलान किया है।

पुलिस ने विजय (22) और उसकी मां रोशनी को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुशांत चंगोत्रा की अदालत में पेश किया तो जज ने दोनों को 25 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने पश्चिम दिल्ली के मुंडका में रहने वाले आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की अनुमति नहीं मांगी और कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाए। इस बीच, अदालत ने विजय की उम्र की जानकारी के लिए उसकी जन्म की तिथि का रिकार्ड पाने के लिए नांगलोई के एक सरकारी स्कूल के संबंधित अधिकािरयों को नोटिस जारी किया।

दिल्ली परिवहन कर्मचारी युवा संगठन के अध्यक्ष गौरव सारस्वत ने कहा कि सरकार डीटीसी के चालकों और परिचालकों की सुरक्षा सुुनिश्चित करे ताकि वे देर रात तक बसें चला सकें। उन्होंने कहा कि चालकों और परिचालकों पर हमले बढ़ रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार बसों में सुरक्षाकर्मी तैनात करे। दिल्ली सरकार की ओर से पांच लाख रुपए मुआवजा दिए जाने की घोषणा के बाद डीटीसी संगठन ने पीड़ित डीटीसी चालक के परिवार को मुआवजे की राशि बढ़ा कर एक करोड़ रुपए देने की भी मांग की है।

सरकार के श्रम मंत्री ने जहां प्रदेश भाजपा को हड़ताल के लिए जिम्मेदार ठहराया, वहीं डीटीसी प्रवक्ता ने कहा कि हड़ताल यूनियन की थी। विभाग ने इसका असर कम करने की भरसक कोशिश की, करीब सात सौ बसों को सड़क पर उतारा गया। इस पूरे मामले पर अब राजनीति शुरू हो गई है। परिवहन मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि भाजपा इस हड़ताल के पीछे है। भाजपा इस मामले पर राजनीति कर रही है। वहीं आप पर पलटवार करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया है कि चालक की हत्या करने वालों के तार आप से जुड़े हो सकते हैं।

दिल्ली की सड़कों पर सोमवार को सुबह से ही लोग डीटीसी बसों का इंतजार करते दिखे। लोगों को दफ्तर, स्कूल, कॉलजे जाने में खासी दिक्कतें आईं। दो दिन की छुट्टी के बाद और हफ्ते का पहला दिन होने का कारण लोग ज्यादा परेशान दिखे। आॅटो लेने के लिए लोगों में मारामारी मची है वहीं हड़ताल का फायदा उठाते हुए ऑटो वाले भी ज्यादा पैसे मांगते रहे। ई-रिक्शा वाले भी ज्यादा किराया वसूलते दिखे। मेट्रो स्टेशनों पर भी खासी भीड़ देखी गई और मेट्रो फीडर बसें ठसाठस भरी रहीं। बस स्टैंडों पर यह चर्चा आम रही कि समाज कितना उतेजक होता जा रहा है। मोटरसाइकिल सवार अपने हेलमेट से लगातार हमला करता रहा, बस का कोई यात्री या राहगीर चालक को बचाने के लिए आगे नहीं आया और वह बड़े आराम से उसके बाद वहां से भाग गया।

खास बात तो यह है कि सुबह बस चालकों या परिचालकों तक को यह अहसास नहीं था कि हड़ताल इस तरह सफल होगी। कई डिपो से भरपूर बसें सड़कों पर उतरी हैं, ये अलग बात है कि वे बसें सड़कों पर ही दिख नहीं रही। दरअसल, हड़ताल के बावजूद दिल्ली की महत्त्वपूर्ण सुखदेव विहार डिपो से 100 बसें सड़कों पर उतरी हैं। लेकिन नारंगी रंग वाली निजी भागीदारी वाली बस चालकों के भी हड़ताल के समर्थन में आ जाने से डीटीसी के कर्मचारी जोश में आ गए। बस क्या था इधर-उधर एक साथ कई बसें सड़क पर ही पार्क कर दी गईं।

वजह पूछने पर बस चालक बताते हैं कि वे सड़कों पर जाकर अपनी जान का खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि अगर वे हड़ताल से उलट बस चलाते हैं तो उनके अलग-थलग पड़ने का खतरा है। बसों में तोड़-फोड़ भी हो सकती है। सुरक्षा हमारे पास नहीं हैं, तो हम अपनी जान जोखिम में क्यों डालें? चालकों की दलील थी कि पहले उन्हें ब्लू-लाइन बस वाले पीटते थे, कभी कोई कार्रवाई नहीं होती थी। अब राह चलते लोग पीट देते हैं और हम सिर्फ पिटते रहते हैं। लोग तक हमारे पक्ष में नहीं आते।

अभी कुछ दिन पहले ओखला में एक चालक का लोगों ने सिर फोड़ दिया, उसके खिलाफ प्राथमिकी तक भी दर्ज नहीं की गई। एक पुलिसवाला ड्यूटी पर शहीद होता है तो केजरीवाल सरकार उसके परिवार को 1 करोड़ की मदद करती है। वहीं, हमारे एक भाई की पीट-पीट कर निर्मम हत्या कर दी जाती है तो उसे पांच लाख रुपए देते हैं। उनका मानना है कि यही मौका है हमें अपनी मांगों को मनवाने का। अगर हम अभी पीछे हट गए, तो आगे भी हमें पीछे ही हटना पड़ेगा। उन्होंने दावा कियी कि सभी कर्मचारी एकजुट हैं।

ठेके पर भर्ती एक चालक ने कहा कि मांग समान काम के लिए समान वेतन की है। एक कर्मचारी को 40,000 रुपए की तनख्वाह मिलती है तो दूसरे को 9,000 रुपए की। ऐसे कैसे चलेगा? हम लोगों के पेंशन की मांग भी लंबित है। परिवहन व्यय(टीए) भी नहीं मिलता। रात में 12-1 बजे अकेले घर लौटते हैं। तनख्वाह का बड़ा हिस्सा किराए में देना होता है। क्या हमें अपनी तनख्वाह से गुजारा करने का हक नहीं? अगर है तो इतने कम वेतन में कैसे होगा गुजारा?

दिल्ली सरकार ने कुमार के परिवार को पांच लाख रुपए का मुआवजा और पीड़ित परिवार के एक सदस्य को परिवहन विभाग में स्थाई नौकरी देने की घोषणा को परिवार वाले ठुकरा चुके हैं। यूनियन के नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि वे एक करोड़ का मुआवजा और नौकरी चाहते हैं। साथ ही भविष्य में ऐसी घटना रोकने के पुख्ता इंतजाम हो।

दिल्ली परिवहन मजदूर संघ के रामपथ कसाना ने कहा, ‘अशोक कुमार की मौत दुर्घटना में नहीं हुई, बल्कि उनकी हत्या की गई है। पांच लाख रुपए का मुआवजा कुछ नहीं है। जब दिल्ली सरकार पुलिसकर्मी के शहीद होने पर उसे एक करोड़ रुपए का मुआवजा देती है तो बस ड्राइवर की मौत पर इतना मुआवजा क्यों नहीं दिया जाएगा। डीटीसी दिल्ली सरकार के तहत आती है।’

बस यूनियन ने कहा कि दिल्ली सरकार के साथ अभी कोई बातचीत नहीं हो पाई है और उनकी मांगे माने जाने तक हड़ताल जारी रहेगी। डीटीसी ने दावा किया है कि वह 704 बसों को सड़क पर लाने में सफल रही है। डीटीसी के पास कुल 4,700 बसें हैं।

डीटीसी ने सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों, डिपो प्रबंधकों और दूसरे अधिकारियों को तैनात किया है कि वे अधिक से अधिक बसों का सड़कों पर आना सुनिश्चित करें। दिल्ली सरकार ने हड़ताल को गैरकानूनी करार देते हुए कहा है कि ‘राजनीतिक रू प से प्रेरित’ हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है।