राजधानी के अंदर ओला-उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सियों के चलाए जाने के विरोध में गुरुवार को जंतर-मंतर पर आॅटो चालकों और काली-पीली टैक्सियों की रैली को संबोधित करते हुए आप के बागी विधायक देवेंद्र सहरावत ने केजरीवाल सरकार पर इन कंपनियों के साथ साठगांठ का आरोप लगाया। रैली में केजरीवाल सरकार को 21 नवंबर तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा गया कि रेडियो टैक्सी कंपनियों के लिए नई नीति के बनकर लागू होने तक बिना लाइसेंस प्राप्त रेडियो टैक्सी सेवा पर प्रतिबंध लगे, सभी टैक्सी कंपनियां सरकारी दर पर किराया वसूलें और ओला-उबर से हर्जाना लिया जाए नहीं तो आप सरकार के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किया जाएगा।
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देवेंद्र सहरावत ने कहा कि ओला और उबर कंपनियां सरकार से साठगांठ कर दिल्ली में अपनी टैक्सियां दौड़ा रही हैं। एक तरफ तो केजरीवाल कहते हैं कि ओला उबर पर प्रतिबंध लगा हुआ है और दूसरी तरफ इन्हीं कंपनियों को दिल्ली सरकार के एक कार्यक्रम दिल्ली ग्रीष्म महोत्सव में आधिकारिक साझीदार बनाते हैं। सहरावत ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने इन कंपनियों के साथ गुप्त सौदा कर लिया है जिससे पंजाब के रास्ते प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना पूरा करने के लिए भरपूर पैसा आता रहे। बिजवासन विधायक ने कहा कि देश की सभी राज्य सरकारें अमेरिकी कंपनी उबर के हाथों में खेल रही हैं और भारतीय परिवहन बाजार को एक थाली में सजाकर उसे पेश कर रही हैं। उन्होंने अनुमान लगाया कि 2018 तक दस लाख की आबादी वाले सभी शहर उबर की गिरफ्त में होंगे जिससे केंद्र के उद्यम विकास कार्यक्रम को बड़ा झटका लगेगा।
रैली के आयोजक संस्था न्यायभूमि के सचिव राकेश अग्रवाल ने कहा कि डीजल की टैक्सियां चलाकर ये कंपनियां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के पास इतना पैसा है कि दिल्ली सरकार उनसे पूछ-पूछ कर नीति बना रही है, इन कंपनियों ने पैसे से सरकार और न्याय दोनों को खरीद लिया है। उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा मामले को केंद्र के पाले में डालने की भी आलोचना की और कहा कि इन कंपनियों के खिलाफ नीति में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
वहीं आॅटो चालक संघ के अध्यक्ष संजय चावला ने कहा कि रामलीला ग्राउंड में 1 हजार आॅटो वालों की टीम तैयार हो रही है, यह टीम पंजाब में आम आदमी पार्टी को नहीं आने देगी। चावला ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार इन्हीं लोगों के बल पर आई लेकिन इन आॅटो-टैक्सी चालकों के किए गए किसी वादे को नहीं पूरा किया गया। रैली को संबोधित करते हुए नेताओं ने आॅटो और टैक्सी चालकों को अपने व्यवहार और सेवा में सुधार लाकर ऐप आधारित कंपनियों को प्रतियोगिता देने की भी बात कही गई। हालांकि, सभी ने इस बात पर निराशा जताई कि रैली में आॅटो और टैक्सी चालकों की मौजूदगी कम है और इस लड़ाई को जीतने के लिए उन्हें इकट्ठा होना होगा।