दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि 18 से 45 साल के आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि युवा देश का भविष्य हैं और पहले उन्हें बचाने की ज़रूरत है। जबकि यहां बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई। 80 साल के लोग देश को आगे नहीं ले जाएंगे। वे अपना जीवन जी चुके हैं, अब युवाओं को बचाने की ज़रूरत है।
दिल्ली में 18 से 45 साल आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण बंद किए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी की।
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार पर भी टिप्पणी की और कहा कि केंद्र की टीकाकरण नीति संतोषजनक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि टीके की कमी है। 18 साल से ऊपर वालों का भी टीकाकरण शुरू कर दिया गया लेकिन यह सुनिश्चित नहीं किया गया कि टीके की आपूर्ति कैसे होगी। जज ने कहा कि अगर पर्याप्त मात्रा में टीका नहीं था तो ऐसी घोषणाएं करने की जरूरत ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में बुजुर्गों को तरजीह दी जा रही है और युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में युवा बड़े स्तर पर प्रभावित हुए हैं। बहुत सारे युवा खतरनाक संक्रमण से जान गंवा चुके हैं। पीठ ने कहा बुजुर्ग जीवन के आखिरी पड़ाव पर हैं। हमें भविष्य की रक्षा करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान जस्टिस विपिन सांघी ने इटली का उदाहरण देते हुए कहा कि जब अस्पतालों में बेड की कमी हो गई थी तो उन्होंने बुजुर्गों से माफी मांग ली थी और युवाओं को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने कहा संकट के समय सभी को बचाना चाहिए लेकिन अगर संसाधन पर्याप्त न हों तो सोच-समझकर फैसला करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर हम खुद की मदद नहीं करेंगे तो ईश्वर भी हमारी मदद नहीं करेंगे।

