Anti Dust Campaign in Delhi News: दिल्ली सरकार ने आने वाले विंटर सीजन में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए गुरुवार को निर्माण स्थलों (construction sites) पर एक महीने तक चलने वाला एंटी डस्ट अभियान शुरू किया। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि जो भी इन मानदंडो का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस अभियान की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शीतकालीन कार्य योजना की घोषणा की। योजना के पहले चरण में हमने 3 अक्टूबर को दिल्ली सचिवालय में एक वॉर रूम की शुरुआत की। आज हम एक एंटी डस्ट अभियान शुरू कर रहे हैं। दिल्ली में 6 नवंबर तक एंटी डस्ट अभियान चलाया जाएगा। सभी निर्माण स्थलों के लिए सभी 14 एंटी डस्ट मानदंडों का पालन करना अनिवार्य होगा और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

गोपाल राय ने कहा कि धूल रोधी अभियान के तहत धूल रोधी नियमों को लागू करने और निगरानी के लिए विशेष रूप से 586 टीमों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि ये 586 टीमें डस्ट विरोधी अभियान के तहत निर्माण स्थलों के लिए बनाए गए सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए मैदान में उतरेंगी।

गोपाल राय ने बताया, “इन 586 टीमों में से 33 टीमें डीपीसीसी से, 165 टीमें राजस्व विभाग से, 300 टीमें एमसीडी से, डीएसआईडीसी की 20 टीमें, दिल्ली जल बोर्ड की 14 टीमें, डीडीए की 33 टीमें, दिल्ली मेट्रो की 3 टीमें, सीपीडब्ल्यूडी और पीडब्ल्यूडी की 6-6 टीमें, एनडीएमसी की 1 टीम, दिल्ली छावनी बोर्ड की 4 टीमें और एनएचएआई की 1 टीम मैदान में उतरेगी।”

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सभी निर्माण कंपनियों को धूल को फैलने से रोकने के लिए निर्माण स्थलों के चारों ओर विशाल टिन की दीवारें बनानी होंगी। वहीं धूल प्रदूषण को रोकने के लिए पहले 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में साइट पर एक एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य था। लेकिन अब इस प्रावधान में संशोधन किया गया है और प्रत्येक साइट पर 5 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के क्षेत्र में एंटी-स्मॉग गन की जरूरत होगी। अब 5 हजार वर्ग मीटर से 10 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र वाले निर्माण स्थल में एक एंटी-स्मॉग गन की जरूरत होगी।

वहीं नए नियम के अनुसार अब निर्माण सामग्री ढोने वाले वाहनों को टायर सहित साफ करना अनिवार्य है। निर्माण से संबंधित वाहनों को ढंकना भी अनिवार्य है। निर्माण सामग्री और विध्वंस से निकले मलबे को विशिष्ट स्थल पर फेंकना आवश्यक है। मिट्टी जैसी कोई भी निर्माण सामग्री या रेत को खुला नहीं छोड़ा जा सकता है।