सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली में कूड़े के निस्‍तारण को लेकर पल्‍ला झाड़ने के लिए गुरुवार (12 जुलाई) को उप-राज्‍यपाल अनिल बैजल को फटकारा। बैजल ने न्‍यायालय से कहा था कि कूड़ा निस्‍तारण की जिम्‍मेदारी नगरीय इकाई की है और वह उसकी निगरानी के इंचार्ज हैं। सुनवाई के दौरान एमिकस क्‍यूरी कॉलिन गोंजाल्‍वेस ने कहा कि बैठकों में उप-राज्‍यपाल के कार्यालय से कोई भी नहीं आया। यह जानकर जजों ने एलजी को कहा, ”आप कहते हैं ‘मेरे पास पावर है, मैं सुपरमैंन हूं।’ लेकिन आप कुछ करते नहीं।” अदालत ने उप-राज्‍यपाल से कूड़ा बटोरने वालों को आइडेंडिटी कार्ड मुहैया कराने और दोपहर 2 बजे तक अपडेट करने का आदेश दिया है।

मंगलवार को इसी मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा था कि ‘दिल्‍ली में कूड़े के पहाड़ के लिए कौन जिम्‍मेदार है। वे लोग जो उप-राज्यपाल के प्रति जवाबदेह हैं, या वे लोग जो मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हैं?’ न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से हलफनामा देने के लिए कहा था कि दिल्ली में कूड़े की सफाई के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए और कचरा प्रबंधन किसके अधिकार क्षेत्र में आता है। इसी पर एलजी ने अपना जवाब दाखिल किया था।

इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा था कि दिल्ली कचरे के पहाड़ के नीचे दबी जा रही है और मुंबई पानी में डूब रहा है, लेकिन सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ठोस कचरा प्रबंधन संबंधित अपनी नीतियों पर हलफनामा दाखिल न करने पर 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों पर जुर्माना लगाया था।

सुप्रीम कोर्ट ठोस कचरा प्रबंधन नियम के क्रियान्वयन से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था। अदालत ने इससे पहले केंद्र को इस मुद्दे पर एक चार्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था कि क्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप राज्यस्तरीय सलाहकार बोर्ड गठित कर लिए हैं या नहीं।

एजेंसी इनपुट्स के साथ