लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली की सात संसदीय सीटों पर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) के बीच चुनावी गठबंधन की बातचीत की संभावना अब भी बनी हुई है। दोनों दलों की ओर से दिखाई गई हालिया तल्खी के बावजूद विपक्ष और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता बेपटरी होती गठबंधन की बातचीत को पटरी पर लाने में जुटे हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित की मुलाकात के बाद ऐसे संकेत हैं कि अगले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर कोई बड़ा ऐलान हो सकता है।
‘आप’ के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष गोपाल राय ने रविवार को कांग्रेस से चुनावी तालमेल को लेकर पूछने पर कहा कि अब यह कांग्रेस को तय करना है कि वह भाजपा को दिल्ली में हराना चाहती है अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि यह तय है कि कांग्रेस अकेले दम पर भाजपा को हरा नहीं सकती। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हैं। सोमवार को पार्टी के बूथ स्तरीय सम्मेलन के मद्देनजर भी पार्टी इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बच रही है लेकिन कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में गठबंधन की घोषणा हो सकती है।
सूत्रों ने कहा कि यह बात सही है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों कहा कि पार्टी की प्रदेश इकाई ‘आप’ से गठबंधन के खिलाफ है लेकिन यह भी सच है कि पार्टी के शीर्ष स्तर के करीब आधा दर्जन नेता लगातार गठबंधन की दिशा में बातचीत कर रहे हैं। ‘आप’ से इनके तार जुड़े हुए हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार दिल्ली में 12 मई को मतदान डाले जाएंगे। जाहिर है कि अब पर्याप्त समय मिल गया है। अगर हाई कमान गठबंधन की बात तय भी करता है तो निश्चित रूप से इसकी घोषणा से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीक्षित के अलावा दिल्ली के अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं से बातचीत की जाएगी और उसके बाद ही कोई घोषणा होगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सोनिया गांधी और शीला दीक्षित की मुलाकात के बाद ऐसी चर्चा तेज है कि इस मुद्दे पर नए सिरे से बातचीत हो सकती है लेकिन किसी जल्दबाजी की कोई जरूरत समझ नहीं आती। दिल्ली में कांग्रेस व ‘आप’ के बीच गठबंधन में आ रही दिक्कतों को लेकर पूछने पर सूत्रों ने कहा कि अब तक गठबंधन के दायरे में दिल्ली के अलावा पंजाब और हरियाणा भी शामिल थे।