कोरोना के संकट के बीच देशभर के अस्पतालों से दुखद खबरें मिल रही हैं। शुक्रवार देर रात राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन न मिलने की वजह से 20 मरीजों ने दम तोड़ दिया। अस्पतालों के बाहर तीमारदारों का जमावड़ा है। कोई मरीज को भर्ती कराने के लिए परेशान है तो किसी को अपनों का हाल नहीं मिल रहा। वहीं कोई अपने मरीज के शव का इंतजार कर रहा है। ऐसे समय में मरीजों के साथ रहने वाले डॉक्टर भी परेशान हैं और जब बोलने का मौका मिलता है तो भावुक हो जाते हैं। दिन-रात काल के गाल में समाते लोगों को देखकर उनका भी मन विचलित हो जाता है।
जयपुर गोल्डन अस्पताल के डॉ. डीके बलूजा लाइव टीवी शो में भावुक हो गए और कहने लगे, मेरी नजरों के सामने 20 मरीजों की जान चली गई और मैं कुछ नहीं कर पाया। मुझे अपने प्रोफेशन पर लानत लगने लगी है। उन्होंने कहा, आई एम सॉरी और इसके साथ ही आंखों से आंसू निकल पड़े।
डॉ. डीके बलूजा ने मौत के तांडव की पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा, ‘भगवान किसी को ऐसा दिन न दिखाए कि वह अपने आपको इतना कमजोर महसूस करे। दिल्ली सरकार ने तीन दिन पहले एक निर्देश दिया था। उन्होंने अस्पतालों के कोटे फिक्स किए थे। जयपुर गोल्डन को 3.6 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ऑक्सीजन अलॉट की गई थी जो कि इनॉक्स से मिलनी थी। 22 तारीख को मेरे कोटे की सप्लाई मिली। अगले दिन जब मैंने दोपहर में पूछा कि आप ऑक्सीजन भेज रहे हैं। उन्होंने पहली बार कोई डिसपैच नोट नहीं भेजा।’
#WATCH | Dr SCL Gupta, MD, Batra Hospital, Delhi breaks down as he speaks about oxygen crisis, says, “We are requesting people to take their patients wherever O2 is available. We understand patient is someone’s mother, father.. if I lose someone close, I’d naturally feel bad.” pic.twitter.com/wWB0zTiDu2
— ANI (@ANI) April 24, 2021
डॉक्टर ने कहा, इस बार नोट नहीं भेजा गया तभी मुझे डाउट हुआ कि कोई प्रॉब्लम है। मैंने सुबह 6 बजे से कॉन्टैक्ट करना शुरू किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। मैंने दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन पर ट्राइ किया वहां से कुछ रिस्पॉन्स आए लेकिन वे क्या कर रहे थे, कुछ पता नहीं चला। मैंने अपने संपर्क से दूसरे अस्पतालों से कॉन्टैक्ट किया तो ये कहा गया कि 8-9 बजे तक स्थिति संभल जाएगी। रात के 11 बज गए और उस वक्त मेरे पास 225 मरीज थे और आईसीयू में 55-60 थे।\
डॉक्टर ने कहा, इसके बाद हमने रिजर्व स्टॉक लगाया। लेकिन प्रेशर कम होने लगा। इस बीच इनॉक्स ने मेसेज किया कि आपका एक टैंकर पहुंचेगा। धीरे-धीरे हमारा रिजर्व भी खत्म हो गया। जब तक टैंकर पहुंचा तब तक करीब 20 लोग दम तोड़ चुके थे। डॉक्टर ने कहा, आधे घंटे के अंदर ये सब हो गया। जो इमर्जेंसी सप्लाई दी गई वो भी केवल 45 फीसदी थी। हमें 1500 लीटर ऑक्सीजन मिली। अभी भी हमारे पास 215 पेशेंट हैं और आज फिर क्राइसिस है। हमें ये भी नहीं पता कि एक दो घंटे कैसे निकलेंगे।
यही हाल बत्रा हॉस्पिटल के एमडी डॉ. एससीएल गुप्ता का था। वह भी ऑक्सीजन और मरीजों की दिक्कतों की बात करते हुए रो पड़े। उन्होंने कहा, जितने सिलिंडर थे सब लगा दिए। रीफिल की भी समस्या है। अस्पताल में डर का माहौल है। हम कुछ कर नहीं पा रहे हैं और कहना पड़ रहा है कि आप अपने पेशेंट को जहां ऑक्सीजन मिले ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा किसी का भी अपना मरता है तो बुरा लगता है। इतना कहते हुए वह फफक पड़े।