सीएजी की एक रिपोर्ट में मंगलवार (3 अप्रैल, 2018) को कहा गया है कि साढ़े तीन साल पहले ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत होने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है और इस उद्देश्य के लिए निर्धारित 40.31 करोड़ रुपए का कोष बेकार पड़ा है। दिल्ली विधानसभा में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक, आप नीत दिल्ली सरकार ने कार्यान्वयन एजेंसियों को उनकी जरूरत के मुताबिक मिशन का कोष आवंटित नहीं किया। इसमें कहा गया है कि दिल्ली के तीनों नगर निगम, दिल्ली शहर आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) समेत कार्यान्वयन एजेंसियों को राज्य का हिस्सा 10.08 करोड़ रुपए सहित 40.31 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, लेकिन मार्च 2017 तक इस पैसे का इस्तेमाल नहीं किया गया।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमसी, एसडीएमसी और डीसीबी घरेलू शौचालयों की जरूरत का आकलन नहीं कर पाई, लेकिन घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए उन्हें 16.92 करोड़ रुपए जारी किए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि शहर में झुग्गी-झोपड़ी और जेजे कलस्टर को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए जिम्मेदार एजेंसी डीयूएसआईबी को दिल्ली सरकार से पर्याप्त फंड नहीं मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, डीयूएसआईबी को (जनवरी, 2016 तक) 6.86 करोड़ रुपए मिले, जिसमें राज्य का 1.71 करोड़ रुपए (कुल लागत का 25 फीसदी) का हिस्सा भी शामिल था, जबकि उसे 41.49 करोड़ रुपए की जरूरत थी।
सीएजी ने अपनी अन्य रिपोर्ट में यह भी कहा कि दिल्ली में 10.85 करोड़ रुपए के खर्च के बावजूद यथोचित परिश्रम की कमी और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से समय-सीमा का पालन नहीं करने की वजह से शहर में सीवर लाइन बिछाने में देरी हुई। रिपोर्ट में सीवर के काम की योजना बनाने में दिल्ली जल बोर्ड की चूक को लेकर भी उसे फटकारा गया है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तदर्थ योजना और प्रबंधन में चूक की वजह से सीवर लाइन बिछाने का जो काम सितंबर 2007 में पूरा हो जाना था, वह 30 जून 2017 तक प्रगति पर था। इसमें कहा गया है कि ऐसे पांच स्थल है, जहां सड़क खोदने के लिए अनुमति की जरूरत थी, लेकिन बोर्ड ने चार स्थलों के लिए इजाजत ली।