भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) में बिहार के पांच पुलिसकर्मियों की नियुक्ति को उपराज्यपाल ने नजीब जंग ने खारिज कर दिया। उपराज्यपाल के इस कदम का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। वहीं दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) ने इसकी तीखी आलोचना की है तो भाजपा समर्थन में आ गई है।

एसीबी में बिहार के पुलिसकर्मियों की नियुक्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने एक तरह से इन नियुक्ति को खारिज कर दिया। इस तरह उपराज्यपाल कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा उनके प्रत्यक्ष अधिकार और नियंत्रण में है। वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर केजरीवाल सरकार और जंग के बीच गतिरोध होने के करीब दो हफ्ते बाद यह नया संघर्ष हुआ है।

उपराज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दिल्ली, एक थाने के रूप में उपराज्यपाल के नियंत्रण और देखरेख में काम करता है। इस स्थिति को गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना संख्या 1368 (ई) के माध्यम से भी स्पष्ट कर दिया गया है।’ उपराज्यपाल कार्यालय ने एक बयान में कहा,‘उपराज्यपाल कार्यालय को अभी तक दिल्ली पुलिस से बाहर के ऐसे पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। जैसे ही उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग से कोई औपचारिक प्रस्ताव मिलेगा, उसका पूरा अध्ययन किया जाएगा।’

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी सहमति के बिना दिल्ली सरकार की एसीबी में कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीआरपीसी के मुताबिक एसीबी एक पुलिस थाना है और दिल्ली में पुलिस उपराज्यपाल के तहत आती है।

आप सरकार ने इन नियुक्तियों को उचित ठहराते हुए उपराज्यपाल व केंद्र पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि उसके पास एसीबी के लिए अधिकारियों को लाने की पूरी शक्ति है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा,‘दिल्ली सरकार को देश के किसी भी हिस्से से पुलिस अधिकारियों को लेने का पूरा अधिकार है। पहले भी ऐसा हुआ है। केंद्र सरकार सभी चीजों का मजाक बना रही है। कभी वे उपराज्यपाल को कहते हैं कि अधिकारी उनके मातहत आते हैं और कभी उपराज्यपाल से यह कहने को कहते हैं कि एसीबी उनके तहत आते हैं।’ उपराज्यपाल और केंद्र पर हमला बोलते हुए सिसोदिया ने कहा, ‘वे संविधान, अदालत के आदेश और कानून का पालन नहीं करेंगे। वे कह सकते हैं कि वे उपराज्यपाल के जरिए वाइट हाउस चलाएंगे।’

वहीं आप नेता आशुतोष ने एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्र और उपराज्यपाल की आलोचना करते हुए उन पर एसीबी के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,‘यदि एसीबी मजबूत होती है तो डरने की किसे जरूरत है? सिर्फ वे जो भ्रष्ट हैं। इस कदम के प्रति एलजी का विरोध लोगों की इच्छा के खिलाफ है।’

भाजपा ने उपराज्यपाल का समर्थन करते हुए आप सरकार पर अनावश्यक तौर पर उपराज्यपाल से संघर्ष करने और संविधान का पालन नहीं करने का आरोप लगाया। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा, ‘संविधान और स्थापित नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए आप सरकार सत्ता नहीं चला सकती है।’ उन्होंने कहा कि इस विषय में उपराज्यपाल का कहना ठीक है कि एसीबी में अधिकारियों को लेने के लिए उनसे अनुमति लेना जरूरी है।

आप सरकार ने बिहार प्रशासन से अनुरोध किया था। इसके बाद बिहार पुलिस के तीन पुलिस निरीक्षक और दो उप निरीक्षक एलीट एसीबी में शामिल किए गए थे। इस कदम को दिल्ली पुलिस पर भ्रष्टाचार रोधी शाखा की निर्भरता घटाने के तौर पर देखा गया था। विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उपराज्यपाल नजीब जंग को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना दरअसल देश को तानाशाही की ओर ले जाने के एक प्रयोग का हिस्सा है।

उन्होंने बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा था कि केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना के जरिए उपराज्यपाल को अपना समर्थन देना भारतीय संघीय ढांचे के लिए नुकसानदेह है। यह दूसरे राज्यों के साथ भी हो सकता है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि एसीबी के लिए अधिकारियों को लाने को लेकर आप सरकार कुछ गैर भाजपा राज्यों के संपर्क में है।

दिल्ली पुलिस के कुछ जवानों को हाल ही में एसीबी की ओर से कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से दिल्ली पुलिस और एसीबी के बीच तनातनी की स्थिति पैदा हो गई थी।

एसीबी दिल्ली के एक थाने के रूप में उपराज्यपाल के नियंत्रण और देखरेख में काम करता है। इसे गृह मंत्रालय की अधिसूचना संख्या 1368 (ई) में भी स्पष्ट किया गया है। -उपराज्यपाल कार्यालय

उपराज्यपाल और केंद्र पर हमला बोलते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘वे संविधान, अदालत के आदेश और कानून का पालन नहीं करेंगे। वे कह सकते हैं कि वे उपराज्यपाल के जरिए वाइट हाउस चलाएंगे।’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा, ‘संविधान और स्थापित नियमों व प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए आप सरकार सत्ता नहीं चला सकती है।’ उपराज्यपाल का कहना ठीक है कि एसीबी में अधिकारियों को लेने के लिए उनकी अनुमति जरूरी है।