दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की लाल एसी बसों की हालत वैसे ही ठीक नहीं है, ऊपर से सीट के ऊपर लगे पंखे भी गुम हैं। ऐसे में अगर सवारियां लाल बस में गुस्से से ‘लाल-पीले’ न हो तो क्या हो। दरअसल, मुद्रिका सेवा के तौर पर रिंग रोड पर चल रही बीबीएम डीपो की लाल बस (डीएलवनपीसी 9085) में लोग गर्मी से व्याकुल होकर सरकार को कोस रहे थे, तभी चालक की सीट पर किसी की नजर पड़ गई।
पता चला कि बस की अगली सीट के पंखे को भी चालक ने अपनी ओर कर रखा है। पहले से मौजूद एक पंखा ड्राइवर के चेहरे पर भी हवा दे रहा था और यात्रियों का पंखा पीछे से चालक महोदय के सिर को राहत दे रहा था। फिर क्या था, लोग विफर पड़े। किसी ने कहा भाई -चालक की सीट पर पर दो-दो पंखे और उसके पिछले सीट पर उसका बटन! किसी ने चुस्की ली, कहा-कनेक्शन इधर और पंखा उधर! पिछली सीट से किसी तीसरे की सांत्वना मुद्रा में आवाज आई- भाई गर्मी है, ऐसी हांफ रहा है, ऐसे में अपनी ही फिक्र तो सबको है! चालक इससे अलग क्यों हो भला! कोई बोल पड़ा, चालक के सिर पर पंखे की हवा उसके दिमाग को ठंडा रखने के लिए है।
उखड़ने का डर
दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश में अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले चंद दिनों पहले शुरू हुए हैं। क्या बिजली और क्या पुलिस। सभी विभागों में काफी अधिकारी इधर से उधर किए गए। ज्यादातर को इस एक नंबर शहर से काफी दूर भेज दिया गया है, जैसे कोई सजा दी गई हो। लेकिन अब अफसर सावधान हो गए हैं। वे जुगाड़ से अपना तबादला रुकवाने की कोशिश में जुट गए हैं, ताकि उनकी फैली जडे न उखड़ जाएं। उन्हें पता है कि अभी फिर स्थानांतरण की दूसरी सूची आने वाली है, ऐसे में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहते हैं।
बेदिल को पता चला कि कुछ तो अपनी सेवाएं तक गिरवी रखने को तैयार हो गए हैं ताकि कहीं जाएंगे नहीं तो कुछ न कुछ भला करते रहेंगे। लेकिन सत्ता के गलियारे में खबर है कि किसी भी अफसर के तबादले में मंत्री से लेकर संत्री तक को अघोषित तौर पर समझा दिया गया है कि वे इससे दूर रहें। अब हर कोई अपनी जुबान खोलने से डर रहे हैं।
सेवा के बाद सुविधा
दिल्ली पुलिस में कई ऐसे अधिकारी हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद भी पुलिसिया सुविधा लेने के लिए बेकरार रहते हैं। हालांकि कुछ को मिलती भी है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। बड़े-बड़े पदों पर लोग सेवानिवृत्ति के बाद आराम से सेवा का मेवा खाते रहते हैं। लेकिन पिछले दिनों बेदिल को एक ऐसे अधिकारी के बारे में पता चला जो सेवा से निवृत्त होने के बाद दिल्ली में ही एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। अब नौकरी कर रहे हैं तो सुविधा के बारे में कम लोग ही सोचते हैं, लेकिन वे भी विभाग की पुलिसिया सुविधा लेने के लिए परेशान हैं। अन्य विभागों में तो सेवानिवृत्ति के बाद अधिकारियों को कोई चाय तक नहीं पूछता, सुविधा मिलनी दूर की बात है।
पूरब और दक्षिण
पूरब और दक्षिण सिर्फ दिशा ही अलग नहीं है। अगर यह किसी के साथ जुड़ जाए तो उसकी हालत भी जुदा हो जाती है। अब दिल्ली का ही वाकया लें। यहां पूर्वी दिल्ली को अन्य इलाकों से पिछड़ा माना जाता है, वहीं दक्षिण दिल्ली के लोग कसीदे पढ़ते हैं। इसी तरह निगमों का भी हाल है। पहले भी पूर्वी निगम अपनी सुविधाओं की कमियों को लेकर बदनाम रही है, अब निगमों का एकीकरण होने के बाद भी यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों के सिर से जैसे पूरब का ग्रहण नहीं उतर रहा है।
पिछले दिनों बेदिल से ऐसे ही एक अधिकारी टकरा गए जो एकीकरण के बाद भी पूर्वी निगम की पहली जैसी सेवाओं से ही रूबरू हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा बताई। बोले, निगम के एकीकरण से उन जैसों को कोई फायदा नहीं हुआ। छह महीने से वेतन के लिए भटक रहे हैं निगम कर्मी। सालों से ग्रेड ए श्रेणी में हैं लेकिन कहते हैं कि दक्षिणी दिल्ली के किसी भी विभाग में जाने में कोई हर्ज नहीं। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि दरअसल वहां वेतन समय से मिल जाता है फिर यहां अधिकारी बने रहने से क्या होगा, जब वेतन के लिए भटकना ही पड़ता है। इसीलिए पोस्टिंग हो जाए तो अच्छा है।
इनाम वाली पुलिस
दिल्ली में शायद दो तरह की पुलिस है। एक पुलिस अपराधियों को ढूंढती है और दूसरी पकड़ती है। बेदिल को यह एक वाकये से समझ आया। दरअसल, पिछले दिनों एक बड़े अफसर ने खबरनवीसों को जानकारी देते हुए अपने विभाग की तारीफ के पुल बांध दिए। अपराधियों को पकड़ने में कितना सफल हैं यह बताया। लेकिन जब किसी खबरनवीस ने पूछ लिया कि अपराधी पर इनाम की घोषणा होते ही उसे कुछ दिनों में कैसे पकड़ लिया जाता है जबकि पहले वह काफी समय से फरार था।
अब पुलिस का बनाया पुल जैसे ढहने को आ गया। किसी के मुंह से कुछ निकला ही नहीं। सभी अफसर बंगले झांकने लगे। हालांकि एक अफसर ने साफ मना ही कर दिया जवाब देने से। लेकिन बात फैल गई। चर्चा होने लगी। बेदिल को किसी ने बताया कि कई सालों से फरार एक अपराधी पर जैसे ही एक लाख रुपए के इनाम की घोषणा हुई। पुलिस ने उसे खोज निकाला और इनाम की घोषणा के कुछ दिनों बाद ही दबोच लिया। तब दो पुलिस का मामला समझ आया।
-बेदिल
