भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने बॉलीवुड एक्ट्रेस जायरा वसीम के फिल्मी दुनिया को छोड़ने के फैसले को गलत बताया। उन्होंने वसीम के फैसले का समर्थन करने पर मुस्लिम धर्म गुरुओं पर भी निशाना साधा। हुसैन ने कहा कि जब मौलाओं का टीवी पर आना जायज हो सकता है तो फिल्में करना गलत कैसे हो सकता है। जायरा वसीम ने पिछले दिनों एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए फिल्म दुनिया छोड़ने की बात कही थी, जिसके पीछे उन्होंने धार्मिक कारण बताया। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘पूरी दुनिया में इस्लामिक मुल्कों सहित बड़ी तादाद में लोग फिल्मों में काम कर रहे हैं। यही उनकी पेशा है। भारत में भी बड़ी तादाद में मुस्लिम समाज के लोग फिल्मों काम कर रहे हैं। उनके लिए वो काम है। फिर छोटा पर्दा हो या बड़ा पर्दा।’

शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘मौलवी-मौलाना भी छोटे पर्दे (टीवी) पर आ रहे हैं। क्या टीवी स्क्रीन पर आना जायज है या नाजायज है? यह बड़ी बहस का विषय है।’ उन्होंने कहा कि इस्लाम को मानने वाले लोग पहले फोटो खिंचवाना भी मना फरमाते थे। मगर आज के दौर में कई मौलाना पूरा दिन टीवी स्क्रीन पर बैठे रहते हैं। क्या इसमें फोटो नहीं खिंचता? दुनिया बदल रही है। हुसैन ने जायरा वसीम के फैसले को उनका निजी फैसला बताते हुए कहा, ‘यह दबाव में लिया गया फैसला लगता है। क्योंकि बड़ी तादाद में हर धर्म में मानने वाली फिल्मों में काम करते हैं।’ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने वसीम के फैसले को निजी निर्णय बताते हुए कहा कि यह उनका निजी मामला है। किसी को इस मामले में टिप्पणी करने का हक नहीं है। वसीम ने जो निर्णय लिया वो उनका अपना फैसला है।

वहीं जायरा वसीम के फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एक बयान देने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि हो सकता है जाजरा के प्रेमी या पति ने फिल्में छोड़ने के लिए कहा हो। फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘इस्लाम काफी उदारवादी धर्म है। इस्लाम धर्म किसी को भी काम करने से नहीं रोकता। फिल्में छोड़ना जायरा का निजी मामला है। हमें उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए।’

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